जगराओं में प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला

पंजाब जगराओं रमनजैन -प्रेक्षाफाउंडेशन के निर्देशानुसार प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला का आयोजन जगराओं में  समणी श्री डॉक्टर निर्वाण प्रज्ञा जी एवं समणी श्री मध्यस्थ प्रज्ञा जी के सानिध्य में किया गया कार्यशाला की शुरुआत समणी श्री मध्यस्थ प्रज्ञा जी के द्वारा नवकार मंत्र से की गई समणी श्री निर्वाण प्रज्ञा जी के द्वारा ध्यान का प्रयोग करवाया गया एवं प्रेक्षाचर्या की पांच उपसंपदाओं के बारे में समझाते हुए फरमाया कि पांच उपसमपदाय प्रेक्षा ध्यान  की एक प्रतिज्ञा है ध्यान साधना के लिए हम क्यों उपस्थित होते हैं तो सबसे पहले यह समझना है कि ध्यान अपने अंतर चेतना के जागरण का विषय है इसलिए ध्यान करने वाले को ध्यान की अवस्था में बैठते हुए पोजीशन में आकर के संकल्प करना चाहिए कि मैं चित्त शुद्धि के लिए प्रेक्षा ध्यान का अभ्यास कर रही हूं जब हमारा संकल्प शुद्ध  होगा तो हमारा सब कॉन्शियस माइंड हमारे चेतन मन को और हमारे मन को और बॉडी को यह संकेत देगा कि मुझे आत्म शुद्धि के लिए प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग करना है पांच उपसंपदा में प्रथम उपसंपदा है आहार का संयम सीमित आहार करना आहार के संयम का मतलब आहार का विवेक रखना कितना कब कैसे क्यों आहार करें जब हम आहार कर तो उसमें भी भाव क्रिया का प्रयोग अवश्य होता है आप खा रहे हैं तो केवल खाना खाए ना के विचारों को भी साथ में खाएं और यदि भोजन में भी एकाग्रता रहती है तो वह भी एक तरह का  ध्यान होता है इसलिए  खाना खाते समय किसी भी व्यक्ति को टीवी मोबाइल लैपटॉप आदि का प्रयोग  नहीं करना चाहिए दूसरा कहा गया प्रतिक्रिया विरति यानि एक्शन का रिएक्शन  होगा परंतु रिएक्शन से बचने का प्रयास सबको करना चाहिए जहां व्यक्ति रिएक्शन करता है वहीं नेगेटिविटी हमारे जीवन में आती है इसलिए प्रतिक्रिया भी पॉजिटिव हो तो व्यक्ति का सृजनात्मक विकास होता है तीसरा कहा गया है मित भाषण- बोलना आवश्यक है परंतु कैसा बोले मीठा मधुर शांत आवेश रहित और अहंकार रहित बोला जाए तो व्यक्ति के लिए वह अच्छा होता है तीसरा कहा गया है भाव क्रिया -भाव क्रिया का मतलब है कि  जागरूकता पूर्वक हर कार्य किया जाए   हर क्रिया के प्रति हमारी जागरूकता अपने आप में एक मेडिटेशन है प्रेक्षा वाहिनी के सहसंवाहकों के द्वारा प्रेक्षा गीत का संगान किया गया समणी श्री मध्यस्थ प्रज्ञा जी के द्वारा मंगल भावना का प्रयोग करवाया गया प्रेक्षा वाहिनी कोऑर्डिनेटर सीमा गर्ग के द्वारा कायोत्सर्ग के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर वक्तव्य दिया गया समणी श्री निर्वाण प्रज्ञा जी के द्वारा फरमाए गए वक्तव्य में से लोगों से प्रश्न पूछे गए जिन्होंने जवाब दिया उनको सम्मानित भी किया गया इस शिविर में लगभग 50 साधकों ने भाग लिया