हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय हिसार की संचालिका बीके रमेश कुमारी ने शिवरात्रि के उपलक्ष में बतलाया कि यह बड़ा सवाल है कि विश्व की सभी महान विभूतियों के जन्मोत्सव जन्मदिन के रूप में मनाए जाते हैं, लेकिन परमात्मा शिव की जयंती ही ऐसी है जिसे जन्मदिन न कहकर शिवरात्रि कहा जाता है, आखिर ऐसा क्यों है ? उन्होंने बतलाया कि वास्तव में इसका अर्थ है। परमात्मा शिव जन्म मरण से न्यारे अथवा अयोनि है। उनका किसी महापुरुष या देवता की तरह लौकिक या शारीरिक जन्म नहीं होता है । बीके रमेश कुमारी ने बतलाया कि शिव की जयंती कर्तव्यवाचक है । कल्याणकारी विश्व पिता शिव तो आलौकिक अथवा दिव्य जन्म लेकर अवतरित होते हैं। उनकी जयंती संज्ञावाचक नहीं, बल्कि कर्तव्य वाचक रूप से मनाई जाती है। शिव ही विश्व की सभी आत्माओं के परमपिता हैं। उनका स्वरूप ज्योति बिंदु है।