वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे : डा आरती


   हिसार (हरियाणा), राजेन्द्र अग्रवालः   महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजली देते हुए उन्हें याद करें और उनके सिखाये गए हर पाठ को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करें।
भारत की आज़ादी का सपना लिए, उसके कल्याण और विकास के लिए अपने ही प्राणों की आहुति देने वाले महापुरूष महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि पर हम उन्हें  हाथ जोड़कर नमन करते है।
    इस दिन नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी, तब, जब वे शाम के समय दिल्ली के बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा से उठ रहे थे। नाथूराम गोडसे ने बापू को अपनी बन्दूक से एक के बाद एक तीन गोलियों से बापू का सीना छलनी कर दिया था और चंद ही पलों में उस शख्श को इस दुनिया से विदा दिला दी। जिसने स्वतंत्र भारत के लिए न जाने कितने सपने बुने थे।
महात्मा गाँधी – एक प्रेरणा :
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869, गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. उनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी और माँ का नाम पुतलीबाई था।  वे 13 वर्ष की आयु में इंग्लैंड अपनी पढाई करने चले गए थे। गाँधी साउथ अफ्रीका भी गए थे। वे गोपाल कृष्ण गोखले के बुलाने पर 1915 में स्वदेश लौटे थे।
महात्मा गाँधी को हम प्यार से बापू भी पुकारते है। भारत की आज़ादी में महात्मा गाँधी का विशेष योगदान था, वे स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख नेता थे और इस वजह से उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा था। वे लाखों शहीदों के बीच सबसे महान देशभक्त के रूप में गिने जाते है। उन्होंने भारत की आज़ादी, उन्नत्ति और लोक कल्याण के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया. गाँधी जी को  देश ही नही बल्कि विदेश में भी अहिंसा की सीख से बहुत ख्याति मिली। वे आज भी शांति और अहिंसा के प्रतीक माने जाते है. शहीद होने के साल पहले ही सन 1947, में हमें महात्मा गाँधी के नेतृत्व में आज़ादी की कठिन जीत मिली, उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा गया और ऐसे राष्ट्रपिता को खो देना हमारे देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्य का दिन था। बापू ने देश की खातिर बहुत बार बलिदान दिया। महात्मा गाँधी ने ही लोगों में भाईचारा, शांति, धर्मनिर्पेक्ष और अहिंसा का मिशन शुरू किया था। लेकिन अपने मिशन के दौरान ही उनकी हत्या हो गई थी. कहा जाता है कि, बापू की शवयात्रा देश की सबसे बड़ी शवयात्रा कहा जाता है जिसमे दस लाख लोग साथ चल रहे थे पंद्रह लाख लोग रास्ते में खड़े थे. बापू के आखरी शब्द थे – “हे राम”! यही शब्द उनकी समाधि पर भी अंकित किये गए है।
    1941 में रचनात्मक कार्यक्रम के रूप में अपने विचार लिखना आरम्भ किया फिर जब स्वतंत्रता की मुहीम ज़ोर पकड़ने लगी तब गाँधी जी ने संशोधित प्रीति तैयार कर ली। गाँधी जी ने किसानो, गावों और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा, सेवा और स्वच्छता के प्रसार अपने देश क लोगो के सामने रखे, जिसे गाँधी चार्टर के नाम से जाना जाता है। गाँधी जी के विचार, उनकी सोच पूरे विश्व में फैली हुई थी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी सभी लोग गाँधी जी के पदचिन्हों पर चल रहे थे। जो उनके विचारों को अपने जीवन में उतारता है वह निश्चय ही सफलता प्राप्त करता है। उनके विचार हमारे जीवन का मूल आधार भी है।
    इस दिन हर धर्म के लोग विशेष प्रार्थना का आयोजन करते है, भजन गाते है और इस मौके पर पूरे देश में दो मिनट का मौन रखा जाता है। इस दिन शिक्षण संस्थाओं में विशेष आयोजन किये जाते है। स्कूलों में बच्चे महात्मा गाँधी के रूप में सन्देश देते है।
          हम आज के दिन सभी खुल कर सांस ले रहे हैं वो आज़ादी हमारे बापू ने ही हमें दिलाई है, ये हमें किसी भी पल नहीं भूलना चाहिए। आज हम भी विश्व में अपना और अपने देश का नाम कमा रहे है, वो ही हमारे पूज्य बापू का सपना था, पर कुछ कुरीतियाँ अभी भी समाज में कहीं न कहीं बसी हैं, हमे मिलकर उन सभी से भारत को मुक्त करना है। आज हम सभी गाँधी जी के ‘विचारों का भारत’, ‘स्वपन का भारत ‘ साकार करें । गाँधी जी एक और बहुत ही प्रसिद्ध भजन के साथ उन्हें याद करते हुए अपने विचारों को विराम देती हूँ।
रघुपति राघव राजा राम,
पतित पवन सीता राम !