हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी की पहचान देश के प्रधानमंत्री रहते हुए भी किसान के रूप में ही रही। वे जीवन पर्यन्त किसानों के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे। यही कारण है कि अपने कार्यकाल के दौरान किसानों के जीवन को बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास किया। किसानों के लिए इनके अतुलनीय योगदान के कारण ही साल 2001 से 23 दिसंबर को उनकी जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे पूर्व प्रधानमंत्री की 119वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ में हुआ। उनका मानना था कि किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करते हैं तभी वह हमारी थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री सदैव किसानों के हितैषी रहे और उन्हें किसानों के मसीहा के तौर पर भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि उनके बताए मार्ग पर चलकर हम सब उनको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
स्वयं किसान परिवार व ग्रामीण परिवेश से थे पूर्व प्रधानमंत्री
किसानों के प्रति उनका प्रेम इसलिए भी था क्योंकि चौधरी चरण सिंह स्वयं एक किसान परिवार व ग्रामीण परिवेश से थे और वे किसानों की समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक अच्छे लेखक भी थे। कार्यकाल के दौरान चौधरी चरण सिंह ने देश में किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियां बनाई। किसानों को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी माना जाता है और देश में किसानों के महत्व और देश के समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास के बारे में लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए हर साल किसान दिवस मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव डॉ. एस.के. महत्ता, कुलपति के ओएसडी डॉ.अतुल ढींगड़ा के अलावा विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, अधिकारी के अलावा शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रधान मौजूद रहे।