नागौर, राजस्थान/भूरारामः शाम 4:00 बजे से रामलीला मंच से राम लक्ष्मण और हनुमान जी कि झॉंकी शुरू होकर गाने बाजे के साथ पूरे मेड़ता रोड में घूमते हुए 7:00 बजे रावण मैदान रावण चबूतरे पर पहुंचती है। शाम लगभग 5:00 बजे से शुरू होकर 8:00 बजे तक आकर्षक आतिशबाजी चलती है जिसके बाद भगवान श्री राम द्वारा धनुष बाण से रावण दहन हौता है और रावण दहन के बाद वापस रामलीला मंच जाकर भगवान श्री राम का राज्यभिषेक और तिलक का कार्यक्रम होता है। इसी के साथ रामलीला समाप्त होती है और ऐसी मान्यता है कि जिस तरफ रावण का पुतला जल कर गिरता है उसी तरफ फसल पैदावार और बारिश अच्छी रहेगी। कई सालों से परंपरागत 10 दिवसीय रामलीला का भव्य आयोजन चलता आ रहा है। रामलीला महोत्सव कमेटी ने बताया कि हर बार सिर्फ रावण का एक ही पुतले का दहन होता है इस बार रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का भी दहन किया जाएगा। पुतलों का निर्माण सांभर शहर के मुख्यतार भाईजान द्वारा किया जा रहा है। यह बात भी एक अजीब संयोग है कि यहां पर विविधता में एकता देखने को मिल रही है जैसा कि अपने मुसलमान भाईजान द्वारा हिंदुओं के रावण के पुतले बनाये जाते है। बिल्कुल गणपति स्थापना जैसा यहां नवरात्र के नौ दिनों में अलग-अलग नवयुवक मंडल द्वारा स्थापना करके माता जी की मूर्ति सजाई जाती है और उसका विसर्जन किया जाता है। सभी ग्रामीणों के अपार सहयोग द्वारा यह सभी प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं।