
वॉशिंगटन/बीजिंग, एजेंसी: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध अब केवल व्यापारिक नीतियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह सोशल मीडिया पर भी तेज़ी से फैल रहा है। ताज़ा मामला सामने आया है व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लिविट के पहनावे को लेकर, जिनकी एक ड्रेस को लेकर चीन के एक शीर्ष राजनयिक ने तंज कसते हुए कहा कि यह ‘मेड इन चाइना’ है।
इस टिप्पणी के बाद इंटरनेट पर बहस का सिलसिला शुरू हो गया, जिसमें कुछ लोगों ने लिविट का बचाव किया तो कुछ ने उन्हें “दोहरे मापदंड” अपनाने का दोषी ठहराया।
इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई जब चीन के डेनपसार (इंडोनेशिया) में कॉन्सुल जनरल झांग झिशेंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिविट की तस्वीर साझा करते हुए दावा किया कि उनकी ड्रेस पर लगी लेस माबू, चीन की एक फैक्ट्री से आई है। उन्होंने एक चीनी सोशल मीडिया साइट Weibo की स्क्रीनशॉट भी साझा की, जिसमें एक यूज़र ने दावा किया कि वह उस फैक्ट्री में काम करता है जहां यह लेस बनी थी।
इस टिप्पणी के बाद इंटरनेट पर बहस छिड़ गई। एक तरफ कई अमेरिकी यूज़र्स ने कैरोलिन लिविट का बचाव किया और दावा किया कि यह ड्रेस संभवतः एक चीनी नकली कॉपी (knockoff) हो सकती है, असली नहीं। एक यूज़र ने लिखा,
“चीन की नकली चीज़ों के लिए पहचान है। संभव है कि उन्होंने किसी लक्ज़री ब्रांड की ड्रेस की कॉपी की हो।”
वहीं, दूसरी ओर कुछ यूज़र्स ने लिविट की चीन विरोधी नीतियों के बावजूद चीन में बनी ड्रेस पहनने को पाखंड (hypocrisy) बताया।
एक टिप्पणी में लिखा गया:
“अगर आप चीन के खिलाफ बोलते हैं, तो कम से कम उनके बनाए कपड़े तो मत पहनिए।”
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर गहराता जा रहा है। ट्रंप प्रशासन और उनके समर्थकों ने लंबे समय से चीन पर व्यापार घाटे, जासूसी, और वैश्विक बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा जैसे आरोप लगाए हैं।
कैरोलिन लिविट, जो ट्रंप समर्थक मानी जाती हैं, कई बार चीन के खिलाफ कठोर बयान दे चुकी हैं। ऐसे में उनके पहनावे को लेकर उठा यह विवाद राजनीतिक और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर असहज स्थिति पैदा कर रहा है।
यह पहला मौका नहीं है जब किसी राजनेता के पहनावे को लेकर विवाद हुआ हो, लेकिन यह मामला बताता है कि कैसे आज के दौर में एक ड्रेस भी राजनीतिक चर्चा का विषय बन सकती है। फैशन और राजनीति का यह मेल दिखाता है कि हर सार्वजनिक व्यक्ति को अब हर छोटे से छोटे निर्णय में भी जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
जहां एक तरफ चीन के राजनयिक ने अमेरिका के विरोधाभासी व्यवहार की ओर इशारा किया, वहीं अमेरिकी नागरिकों ने चीनी नकली उत्पादों की ओर ध्यान दिलाया। इस घटना से यह साफ है कि अमेरिका-चीन संबंध अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि हर सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत पहलू को छू रहे हैं।