आतंकियों के लिए अब सीमा पार से हो रहा है भोजन और हथियारों का इंतजाम, करते हैं चाइनीज एप का इस्तेमाल।

रिपोर्टर  संजय पुरी   जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों और जंगलों में छिपकर बैठे आतंकियों ने अपने लिए हथियार, रसद और सामान मंगवाने की रणनीति बदल दी है। आतंकी इन सबके लिए स्थानीय मददगारों से संपर्क नहीं कर रहे। इन्हें जो भी चाहिए होता है, वे सीमा पार बैठे आतंकी हैंडलर से बात करते हैं। हैंडलर स्थानीय मददगार से संपर्क करता है। उसे बता दिया जाता है कि सामान कब और कहां रखना है। इसके बाद आतंकी वहां से सामान ले जाते हैं।  रक्षा विशेषज्ञाें का कहना है कि इस पूरे नेटवर्क को चलाने के लिए आतंकी संगठन कुछ चाइनीज मोबाइल एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। इंटरनेट आधारित ये मोबाइल एप पाकिस्तान में स्थापित टावरों के माध्यम से इस्तेमाल हो रहे हैं, जो स्थानीय स्तर पर पकड़ में नहीं आ रहे। यही कारण है कि छिपे हुए आतंकी सुरक्षाबलों के हत्थे नहीं चढ़ पा रहे। आतंकियों ने स्थानीय स्तर पर अपना संपर्क बहुत कम कर दिया है। पहले आतंकी हथियार, खाना और अन्य सामान लेने मददगार तक पहुंचते थे। अब इनका आपस में कोई संपर्क नहीं हो रहा।  ऐसे हो रहा चाइनीज एप का इस्तेमाल  जानकारी के अनुसार, चाइनीज एप के जरिए एक वीडियो तैयार किया जाता है। इसमें लोकेशन भेजी जाती है। इस वीडियो के माध्यम से मददगार सामान रख देता है और आतंकी वहां से उठा लेता है।  पकड़ में आ जाते थे मददगार  पूर्व डीजीपी वैद का कहना है कि आतंकी जब जम्मू-कश्मीर में मौजूद टावरों और मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे थे। तब इनकी स्थानीय मददगारों से होने वाली बातचीत पकड़ में आ जाती थी। अब आतंकी मददगार से बात नहीं करता। मददगार से पाकिस्तान में बैठा हैंडलर बात करता है। हैंडलर फिर आतंकियों से बात करता है। इसके लिए ऐसे चाइनीज एप इस्तेमाल हो रहे हैं, जो पकड़ में नहीं आ रहे।स्थानीय लोगों की मदद लें  पूर्व ब्रिगेडियर विजय सागर का कहना है कि आतंकियों का पता लगाने के लिए बड़े स्तर पर स्थानीय लोगों की मदद लेनी चाहिए। क्योंकि आतंकी सामान लेने के लिए अपने ठिकानों से बाहर जरूर आएंगे। बेशक वे अपने मददगारों से नहीं मिलेंगे। न ही स्थानीय लोगों से संपर्क करेंगे, लेकिन उनकी मूवमेंट होगी। इसी मूवमेंट से उनकी मौजूदगी का पता लगेगा और सुरक्षाबल कार्रवाई कर सकेंगे।