रिपोर्टर संजय पुरी कश्मीर पुलिस ने आतंकी ठिकानों में छिप कर बैठे आतंकियों के खिलाफ विशेष अभियान शुरू किया है। पुलिस सेना और खुफिया एजेंसियों ने मिलकर पिछले 15 दिनों में कई ऑपरेशन को अंजाम दिया है। कई आतंकियों को ढेर किया गया है। पुलिस खुफिया तंत्र को मजबूत कर रही है। इससे पहले की आतंकी अपने ठिकानों से बाहर आकर वारदात को अंजाम दें, आतंकियों को उन्हीं के ठिकानों में घुसकर मार देने की योजना पर पुलिस काम कर रही है। पिछले दिनों मारे गए लश्कर कमांडर को लेकर चलाया गया ऑपरेशन भी इसी का हिस्सा था। आने वाले दिनों में पुलिस की तरफ से इस ऑपरेशन को और तेज किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, कश्मीर पुलिस को अलग-अलग ठिकानों में छिप कर बैठे आतंकियों के खिलाफ पुख्ता जानकारियां मिल रही हैं। ये आतंकी भीड़भाड़ वाले इलाके और अपने कुछ करीबी लोगों के पास पनाह ले रहे हैं। पुलिस भी इनके करीबियों को विश्वास में लेकर इनका पता लगा रही है। आईजी बोले- आतंकी घटनाएं नहीं बढ़ीं, ऑपरेशन तेज किए गए कश्मीर के आईजी विधि कुमार बिरदी का कहना है कि कश्मीर में आतंकी घटनाएं नहीं बढ़ीं हैं, बल्कि आतंकियों के खिलाफ पुलिस ने ऑपरेशन तेज किए हैं। खुफिया एजेंसियां और पुलिस अपने खुफिया नेटवर्क की मदद से आतंकियों का पता लगाने में जुटी हैं। इसी के चलते हमें इनके खिलाफ कामयाबी मिल रही है। कुछ एक वारदात छोड़ दें तो आतंकियों के खिलाफ हमने ही आगे बढ़कर कार्रवाई की है। हाल में चलाए गए कुछ प्रमुख ऑपरेशन श्रीनगर के रैनाबाड़ी में लश्कर कमांडर मारा गया बांदीपुरा में एक आतंकी मारा गया कुपवाड़ा में एक आतंकी मारा गया पिछले तीन दिन में सोपोर में तीन आतंकी मारे गए आतंकियों ने स्थानीय लोगों के साथ बना रखे हैं ठिकाने करीब 5 से 6 महीने पहले बड़े स्तर पर आतंकी पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर आए हैं और कश्मीर संभाग में ठिकाना बनाए हैं। ये आतंकी दो से तीन के ग्रुप में हैं, जिन्होंने स्थानीय लोगों के साथ मिलजुल कर रह रहे हैं। इन आतंकियों को खामोश बैठे रहने का आदेश मिला था। अब इनको पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हमले करने के लिए बोल रही है। इनको हथियार भी मुहैया करवाए जा रहे हैं, लेकिन सेना और पुलिस ने मिलकर इनके खिलाफ अपना खुफिया तंत्र सक्रिय कर दिया है। एक स्पेशल ऑपरेशन के तहत इनकी तलाश कर मारा जा रहा है।-विजय सागर, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) किश्तवाड़ में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की साजिश किश्तवाड़ आतंकी घटनाओं की दृष्टि से काफी संवेदनशील इलाका रहा है। 1990 के दशक में जब आतंकवाद अपने चरम पर था उस दौरान यह चिनाब घाटी दहशतगर्दी का एक प्रमुख केंद्र थी। इसके बाद सरकारों ने स्थानीय लोगों की मदद से खुफिया नेटवर्क तैयार किया। ग्राम रक्षा समितियों का गठन किया गया। इनकी मदद से सरकार ने धीरे-धीरे स्थिति पर काबू कर लिया। पिछले कुछ सालों में किश्तवाड़, डोडा, रामबन इलाकों में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की साजिश रची जा रही है। समय-समय पर दहशत फैलाने के लिए आतंकी वारदात को अंजाम दिया जा रहा है। किश्तवाड़ में 1 नवंबर 2018 को आतंकियों ने भाजपा नेता अनिल परिहार और उनके भाई अजीत परिहार की गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह घटना काफी लंबे समय के बाद हुई थी। इसके बाद इसी वर्ष 11 जून को दहशतगर्दों ने डोडा के चटर गल्ला के ऊपरी इलाके में सुरक्षाबलों पर हमला किया। राष्ट्रीय राइफल्स के पांच सैनिक और एक विशेष पुलिस अधिकारी घायल हुए थे। स्थानीय लोग बताते हैं कि इलाके में 2018 से पहले सुरक्षा बलों की संख्या में कमी करने व ग्रामीण नेटवर्क के शिथिल होने के कारण दहशतगर्दों को अपनी जड़ें जमाने का मौका मिला।