हिसार, राजेंद्र अग्रवाल : हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की राज्यस्तरीय परियोजना के अंतर्गत मंगलवार को हांसी स्थित बाबा बंदा बहादुर पब्लिक स्कूल के शिक्षकों हेतु डिजाइनर के रूप में शिक्षकों की भूमिका विषय पर मनोवैज्ञानिक चर्चा आयोजित की गई। दौरान उपस्थित शिक्षकों को संबोधित करते हुए मंडल बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने कहा कि बच्चों को बेहतर पाठ्यक्रम के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक तकनीक की जानकारी भी दी जानी चाहिए। एक शिक्षक शिक्षार्थियों के लिए डिजाइनर की तरह होता हैं। उन्होंने कहा कि बाल सलाह परामर्श व कल्याण केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य बच्चों व युवाओं को अच्छा माहौल व सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। यदि बच्चें स्वस्थ सुरक्षित है तो समाज भी काफी हद तक चिंता मुक्त रह सकता है। चारों तरफ के वातावरण में नजरें दौड़एं तो वास्तविक स्थिति हर किसी को समझ आती है। अनिल मलिक ने कहा कि बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, चाहे कैसा ही रूप प्रदान करें। यह शिक्षक, माता-पिता रूपी शिल्पकार के हाथों बच्चें का भविष्य होता है। जैसे एक मूर्तिकार बड़े से पत्थर को सुंदर रूप देने के लिए धैर्य, कार्य अनुभव, नजरिए और औजारों का बेहतर उपयोग करते हैं इसी तरह से शिक्षकों को भी बच्चों को डिजाइन करना होगा। डॉ अब्दुल कलाम, मदर टेरेसा, स्वामी विवेकानंद, गुरु नानक जी जैसे रोल मॉडल की जीवनी की चर्चा के माध्यम से बच्चों को बुराइयों पर नियंत्रण रखना सिखाएं।
कार्यक्रम की संयुक्त अध्यक्षता बाबा बंदा बहादुर राज्य शिक्षण संस्थान निदेशक शिव शंकर पाहवा, स्कूल प्रशासक लवली चावला व स्कूल प्रिंसिपल राजेश कुमार कंसल ने की। उन्होंने कहा कि मनोवैज्ञानिक प्रेरणा दाई तकनीकों के माध्यम से ना सिर्फ शिक्षकों उनके साथ-साथ विद्यार्थियों व अभिभावकों को भी प्रेरित करते हुए बाल संरक्षण व उनके मानसिक, बौद्धिक विकास हेतु प्रेरित किया जा सकता है। कार्यक्रम में परामर्शदाता नीरज कुमार व मनजीत मलिक भी उपस्थित थी।
Posted On : 12 Jul, 2022