हिसार, राजेंद्र अग्रवाल : बजम- ए -अदब की मासिक काव्य गोष्ठी ऋषि सक्सेना की अध्यक्षता में स्थानीय टाउन पार्क में आयोजित की गई। गोष्ठी में मंच संचालन जयभगवान लाडवाल ने किया। गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में पी पी शर्मा उपस्थित रहे। काव्य गोष्ठी में वीरेंद्र कौशल ने सुनाया - देश में अब कोई बेकार नहीं होगा, सब कुछ होगा बस रोजगार नहीं होगा।
"दिल कहता है जवान हूं मैं "
राजेंद्र अग्रवाल ने सुनाया - दिल कहता है जवान हूं मैं, उम्र कहती है नादान हूं मैं, इस चक्कर में कब घुटने घिस गए, पता ही नहीं चला।
ऋषि सक्सेना ने सुनाया अब उदास रहती है नदियाँ, कल- कल की आवाज कहां गई।
"टूटी आखो से बिखरा आशियाना "
जय भगवान ने कहा - भाग्य में जो लिखा मिलेगा जरूर, इस बात में कोई झूठला नहीं सकता हुजूर। जब वक्त पर नहीं है किसी का जोर, फिर किसी बात का गुरूर, सुनाई
नरेश पिंगल ने सुनाया - टूटे आंखें बिखरा आशियन, बेघर घर का वासी। कौन बोए अब बीज धरा पर, घर आंगन महकाए कौन । "मौका मिले तो हंस लो"
भीम सिंह हुड्डा ने सुनाया - जब भी मौका मिले हंस लो , इससे सस्ती दवा नहीं। जब भी मौका मिले वृक्ष लगा लो, इससे अच्छी हवा नहीं।
पी पी शर्मा ने कुछ यूं सुनाया - जैसे संगति पाओगे, वैसा रास रचाओगे । जैसा कर्म करोगे , वैसा नाम कमाओगे।
काव्य गोष्ठी के इस अवसर पर कवि राजेंद्र अग्रवाल , जगदीश गर्ग, बेगराज , चिराग , राम कुमार सहित कई श्रोतागण और गणमान्य व्यक्ति भी कवियों के रसीले और चुटीले अंदाज में परोसी गई रचनाओं का लुफ्त लेते रहे।
Posted On : 06 Jul, 2022