हिसार, राजेंद्र अग्रवाल : कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कपास फसल में निम्बिसिडीन के प्रयोग को लेकर किसानों के लिए हिदायतें जारी की गई है।
यह जानकारी देते हुए उप-मंडल कृषि अधिकारी पवन ढींगड़ा ने बताया कि निम्बिसिडीन फसलों को हानी पहुंचाने वालों कीटों, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, चुरड़ा, तेला, स्केल, वूली एफिड की संख्या को बढऩे से रोकता है। इसकी गंध कीटों की तितली को फसलों को दूर भगाती है, जिसके कारण मादा तितली फसल पर अंडे नहीं दे पाती। निम्बिसिडीन नर व मादा तितली के मिलने की क्रिया में बाधा ड़ालता है, जिसके कारण अंडा बनने की क्रिया नहीं हो पाती व तितली के अंडे देने की क्षमता को खत्म कर देता है। उन्होंने बताया कि यह काईटन नामक हारमोंस को बनने से भी रोकता है, जिसके कारण यह कीड़े की चारों अवस्थाओं को नियत्रिंत कर कीटों के जीवन चक्र को तोड़ ड़ालता है।
उपमंडल कृषि अधिकारी ने बताया कि निम्बिसिडीन कीटों में प्रतिकारक शक्ति नहीं बढऩे देता तथा यह पहला जैविक कीटनाशक है। निम्बिसिडीन को पांच एमएल प्रति लीटर पानी में छिडक़ाव करने से कीटों की रोकथाम की जा सकती है। इसे अमावस्या से पूर्णिमा तक लगातार प्रयोग करने पर कीटों पर पूरी तरह से नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि निम्बिसिडीन को दूसरे कीटनाशकों के साथ मिलाकर भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इस संबंध में अधिक जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं।
Posted On : 23 June, 2022