हिसार, राजेंद्र अग्रवाल : इफको नैनो यूरिया (तरल) कम लागत में उच्च उत्पादकता प्रदान करने वाला उर्वरक, इफ्को नैनो यूरिया (तरल) नैनो तकनीक पर आधारित एक अनूठा उर्वरक है। भारत सरकार द्वारा अनुमोदित विश्व में पहली बारे इफको द्वारा विकसित किया गया है।
यह जानकारी देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एसडीओ पवन ढिग़ड़ा ने बताया कि यह दानेदार यूरिया से अधिक लाभदायक है। इससे वायु एवं जल प्रदूषण नहीं होता। जमीन की उर्वरा शक्ति पर भी कोई नुकसान नहीं होता है। उन्होंने बताया कि इस यूरिया का छिडक़ाव अनाज, तेल, सब्जी, कपास इत्यादि फसलों में दो बार तथा दलहनी फसलों में एक बार किया जा सकता है। पहला छिडक़ाव अंकुरण/रोपाई के 30-35 दिन बाद तथा दूसरी छिडक़ाव फूल/बाली आने के एक सप्ताह पूर्व किया जा सकता है। एक एकड़ में एक बार के छिडक़ाव के लिए लगभग 125 लीटर पानी की आवश्यक्ता पड़ती है। उन्होंने बताया कि फसलों में नैनो यूरिया का छिडक़ाव सुबह या सायं के समय तथा छिडक़ाव करते समय मास्क एवं दस्तानों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
Posted On : 17 June, 2022