कलम मंच की मासिक काव्य गोष्ठी टाउन पार्क मे वीरेंद्र कौसल की अध्यक्षता मे आयोजित की गई

हिसार, राजेंद्र अग्रवाल : मंच संचालक जय भगवान लाड़वाल ने किया  मुख्य अतिथि नरेश पिंगल संगीतकार थे।  इस  अवसर पर जयभगवान लाड़वाल ने सुनाया... जब से अंकल आंटी का फेशन चला हे रिश्तों मे गड़बड़ाहट हुई है –मामा फूफा मोसा के रिश्ते खत्म हो गए हे। वीरेंद्र कौसल ने सुनाया –जब से डिग्री की समझ आई तब से जूते चप्पलों से भी पाव जलने लगे । कृष्ण इंदोरा ने कुछ यू सुनाया –जीना  तो दुश्वार हुआ- मरना भी बेकार हुआ।  नरेश पिंगल ने सुनाया –तेरी झील सी आखे गहरी है जैसे खेतों मे पानी नहरी है । भीम सिंह हुडा ने सुनाया –उपर वाले मैं तुम से नाराज नहीं कल था लेकिन आज नहीं। कलमकार ऋषि सक्सेना ने सुनाया –उसके पास भले ही जंगे-ए-सामान है, कलम मे अभी स्याही बाकी है।  
   राजेन्द्र अग्रवाल ने सुनाया –दुनिया खामोशी भी सुनती है लेकिन पहले दहश्त मचानी पड़ती है। इस अवसर पर जगदीश गर्ग  रमेशकुमार सलूजा अमी लाल  बेगराज रमेश कुमार आदि ने भी काव्य पाठ किया।


Posted On : 30 May, 2022