हिसार, राजेंद्र अग्रवाल : कृषि उत्पादन और प्रौद्योगिकी के बीच गहरा संबंध है। प्रौद्योगिकी जितनी प्रभावकारी होगी कृषि पैदावार उतनी अधिक होगी जिससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होगा। यह बात चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने विश्वविद्यालय के मानव संसाधन प्रबंध निदेशालय की ओर से विस्तार प्रबंधन विषय पर आयोजित किए गए तीन सप्ताह अवधि के रिफ्रेशर कोर्स के आज समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कही।
कुलपति ने कहा कि कृषि में प्रौद्योगिकी के महत्व को देखते हुए नवीन उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों को किसानों तक पहुंचाना बहुत आवश्यक है जिसमें विस्तार प्रबंधन की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा नई तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने में विस्तार प्रबंधन का अहम योगदान है। उन्होंने कहा आज व्यक्तिगत संपर्क व समाचार-पत्रों के अतिरिक्त हमारे पास सोशल मीडिया, कम्यूनिटी रेडियों जैसे सूचना प्रचार-प्रसार के माध्यम उपलब्ध हैं जिनका उपयोग कृषि वैज्ञानिकों और विस्तार विशेषज्ञों द्वारा कृषि प्रौद्योगिकियों को किसानों के बीच पहुंचाने में किया जा सकता है लेकिन इस प्रयास में सामाजिक व आर्थिक सूचकों को अवश्य ध्यान में रखना होगा। उन्होंने विस्तार कार्यक्रमों में किसानों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया और कहा कि वैज्ञानिकों व विस्तार विशेषज्ञों को किसी भी सूचना या प्रौद्योगिकी को किसान के बीच ले जाने से पूर्व उसकी विश्वस्नीयता अवश्य परख लेनी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के उपरोक्त निदेशालय की ओर से वैज्ञानिकों, प्राध्यापकों, विस्तार विशेषज्ञों व अन्य कर्मचारियों के ज्ञान व कौशल वर्धन के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि किसानों के बीच प्रौद्योगिकी विस्तार में यह प्रशिक्षण बहुत कारगर साबित होगा। इस मौके पर प्रो. बी.आर. काम्बोज ने प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए।
मानव संसधान प्रबंध निदेशालय की निदेशक डॉ. मंजू महता ने कहा कि इस रिफे्रशर कोर्स का आयोजन शिक्षक, वैज्ञानिक व विस्तार विशेषज्ञों के लिए किया गया था ताकि विस्तार प्रबंधन हेतु उनकी क्षमता, ज्ञान व कौशल संवर्धन किया जा सके। इस कोर्स के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम ज्ञान, शिक्षण सामग्री, चयनित विस्तार विधियों के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया इस कोर्स में कुल 26 वैज्ञानिक, प्राध्यापक व विस्तार विशेषज्ञ ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर उपरोक्त रिफे्रशर कोर्स की निदेशक डॉ. मंजू नागपाल महता ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और पाठ्यक्रम संयोजिक डॉ. जयंती टोकस ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस मौके पर कोर्स के सह संयोजक डॉ. जितेन्द्र भाटिया भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी एवं अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
Posted On : 24 May, 2022