असमय जलवायु परिवर्तन खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर चुनोती: प्रो. बी.आर. काम्बोज

हिसार, राजेंद्र अग्रवाल :  कार्यशाला का आयोजन अमेरिका के मैसुचुसेट एवं वाशिंगटन स्टेट विश्वविद्यालय के सहयोग से किया जा रहा है
     असमय जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, मृदा प्रदूषण, भूमि की उर्वरता का कम होना तथा जैविक व अजैविक दबाव कृषि उत्पादन के क्षेत्र में चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं। उक्त चुनौतियों के निवारण के लिए कृषि वैज्ञानिकों का रोल महत्वपूर्ण है। यह विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने 15 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला ट्टजिनोम एडिटिंग तकनीक के द्वारा फसलों की उपज बढ़ानाट्ट के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए कहे।
प्रो. काम्बोज ने कहा आजीविका के स्रोत के रूप में कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसके लिए हमारे कृषि उत्पादन में सुधार और उसमें मूल्यवर्धन की आवश्यकता है। स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य, औद्योगिक और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी का योगदान महत्वपूर्ण है। भारतीय बायोटेक उद्योग मेें 57.14 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। इसका उद्देश्य 2025 तक बायोटेक उद्योग के क्षेत्र में लगभग लिए लगभग 30 प्रतिशत की महत्वाकांक्षी विकास दर के साथ-साथ साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये प्राप्त करना है। जीनोम संपादन सतत विकास, पर्यावरण प्रबंधन, फसल सुधार और खाद्य सुरक्षा को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। फसल सुधार के लिए जीनोम संपादन दृष्टिकोण पर यह अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला-सह-हस्त-प्रशिक्षण प्रतिभागियों को न केवल सैद्धांतिक जानकारी प्रदान करेगा, बल्कि इस कार्यक्रम के अभिन्न अंग के रूप में जीनोम संपादन, आनुवंशिक परिवर्तन और जैव सूचना विज्ञान उपकरण का अनुभव भी प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. सुधीर कुमार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया जबकि विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नीरज कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस कार्यशाला के पाठयक्रम निदेशक, सहायक प्रोफैसर डॉ. उपेन्द्र कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन अमेरिका के मैसुचुसेट विश्वविद्यालय एवं वाशिंगटन स्टेट विश्वविद्यालय के सहयोग से किया जा रहा है जिसमें मैसुचुसेट विश्वविद्यालय के विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. ओम प्रकाश धनखड़ और वाशिंगटन स्टेट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. कुलविंदर सिंह गिल प्रतिभागियों को जिनोम एडिटिंग तकनीक के  माध्यम से फसलों की पैदावार बढ़ाने एवं रोगमुक्त फसलों के उत्पादन संबंधित तकनीक का व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करेंगे। उन्होंने बताया यह अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला स्पार्क परियोजना के अंतर्गत भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित की जा रही है। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर कार्यशाला से संबंधित पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के ओएसडी, डॉ. अतुल ढ़ीगड़ा, अनुसंधान निदेशक, डॉ. जीतराम शर्मा, अधिष्ठाता, स्नातकोत्तर डॉ. के.डी. शर्मा, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डॉ. एस.के. पाहुजा सहित सभी विभागाध्यक्ष, कर्मचारी व विद्यार्थी मौजूद रहे।


Posted On : 23 May, 2022