हिसार , राजेंद्र अग्रवाल : अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने आज स्थानीय जाम्भोलाव मंदिर में कलश स्थापना की एवं मंदिर का लोकार्पण किया। इससे पूर्व बीकानेर एयरपोर्ट से लेकर जाम्भोलाव मंदिर तक रास्ते में 14 जगहों पर उनका बिश्नोई समाज के गणमान्य लोगों द्वारा जोरदार स्वागत हुआ तथा अनेकों जगहों पर उन्होंने जलपान कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पौराणिक मान्यता और शास्त्रों के अनुसार कलश के मुख में विष्णु जी का निवास, कंठ में महेश तथा मूल में ब्रह्मा विद्यमान हैं और कलश के मध्य मे दैवीय मातृ शक्तियां निवास करती हैं, इसलिए कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थ स्थान का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है। संपूर्ण देवता कलशरूपी पिंड में एकसाथ समाए हुए हैं। वे एक हैं तथा एक ही शक्ति से संबंधित हैं। एक माध्यम में, एक ही केन्द्र में समस्त देवताओं को देखने के लिए कलश की स्थापना की जाती है। हिंदू धर्म में कलश पूजन का अपना विशेष महत्व है। विशेष मांगलिक कार्यों के शुभारंभ जैसे गृह प्रवेश के समय, व्यापार में नए खातों के आरंभ के समय, दीपावली के पूजन के समय, नवरात्र में दुर्गा पूजा के समय, किसी अनुष्ठान के अवसर पर कलश स्थापना की जाती है। सुख और समृद्धि का प्रतीक होता है कलश।
जांभा मंदिर कमेटी के अथक प्रयासों, समाज के भामाशाह एवं आम जन के सहयोग से अत्यंत ही भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। जब मंदिर के पुन: निर्माण की बात आई तो बिश्नोई रत्न युगपुरूष चौ. भजनलाल जी ने जांभा मंदिर में 31 लाख रूपए का सहयोग किया था। उस समय मैं महासभा का अध्यक्ष था। उस समय अखिल भारतीय महासभा, बिश्नोई सभा हिसार, फतेहाबाद सहित अनेकों सभाओं ने मंदिर निर्माण में भरपूर सहयोग किया।
आज मेरा सौभाग्य है कि समाज की एकजुटता व सहयोग से जिस प्रकार हमारे मंदिरों की जीर्णोद्धार की श्रृंखला में चाहे वाहे मुक्ति धाम मुकाम हो या अन्य कोई धर्मशाला या धार्मिक स्थल का निर्माण हो या जाम्भा मंदिर हो चौ. भजनलाल जी द्वारा शुरू करवाए गए कार्यों के संपूर्णता पर मुझे आने का अवसर मिला। गुरू महाराज व पिताजी का आशीर्वाद ही था कि जब-जब मेरे सामने सामाजिक व राजनीतिक स्तर पर चुनौतियां आई तो सफलतापूर्वक मैं उनसे बाहर निकलने में सफल रहा। जब कभी भी बिश्नोई समाज की प्रतिष्ठा पर आंच आई तो मैंने हमेशा अपने निजी स्वार्थ व राजनीतिक हितों को एक तरफ रखकर प्रयास किया कि समाज के हितों की लड़ाई ईमानदारी से लड़ सकूं। समाज से जुड़ा कोई भी संवेदनशील मामला हो मैंने हमेशा संत समाज के आशीर्वाद से समाज के सभी प्रबुद्धजनों से सलाह मशविरा करके, उनकी राय जानकार यह कोशिश की कि सभी एकजुट होकर समाज कल्याण की दिशा में सोचें। मुझे समाज का हमेशा आशीर्वाद मिला है और उम्मीद करता हूँ कि आगे भी समाज मुझ पर विश्वास बनाए रखेगा। 1982 में चौ. भजनलाल जी के निर्देशानुसार उस वक्त के सीमित संसाधनो के बावजूद बिश्नोई सभा हिसार ने जाम्भा में सरोवर पर घाट का निर्माण करवाया था। उसी प्रकार मैं आज महासभा, सभी सभाओं व समाज निवेदन करता हूँ कि इस सरोवर को भी आने वाले समय में भव्य स्वरूप दिया जाए। मैं हीराराम भंवाल जी को बधाई देना चाहता हूँ कि वो पिछले 40 वर्षों से वे जांभा मंदिर कमेटी में अपनी बेहतरीन सेवाएं दे रहे हैं। आज इस समारोह में पहुंचे सभी साथियों को कहना चाहता हूं कि इस तरह के कार्यक्रमों से समाज में आपसी पे्रम, भाईचारे और एकजुटता की भावनाएं बढ़ती हैं। हम मंदिर, सामाजिक कार्यक्रम क्यों आयोजित करते हैं, क्योंकि हमारा वर्षों से चला आ रहा सामाजिउन्होंने कहा कि सामाजिक ताना-बाना और इस देश की आत्मा आपसी भाईचारे और एक दूसरे की मदद पर टिकी है। जब-जब देश में कोई प्राकृतिक आपदा आती हैं, महामारी आती है और या कोई बढ़ा संकट आता है तो उस समय सामाजिक संस्थाएं, मंदिर, गुरूद्वारे ही लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। इसलिए ऐसी संस्थाओं में आप दिल खोलकर दान कीजिए। इसलिए हम सबको हमेशा सामाजिक संस्थाओं, मंदिरों, गुरूद्वारों की मजबूती के लिए काम करना चाहिए बिना किसी राजनीति के।
पिछले दिनों जब देश में कोरोना महामारी का प्रकोप था तो राजस्थान में सामाजिक संस्थाओं ने बढ़चढ़ कर लोगों की सहायता की। मुझे खुशी है कि अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने भी राजस्थान सरकार की मदद के साथ-साथ जितनी ज्यादा हो सकी कोरोना महामारी में लोगों की सहायता करने की कोशिश की। राजस्थान की ज्यादातर सामाजिक संस्थाओं, मंदिरों, गुरूद्वारों ने दिल खोलकर कोरोना महामारी में अपने हाथ खोले। इसीलिए मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि ऐसी संस्थाओं की दिल खोलकर मदद कीजिए, ताकि समय पडऩे पर वे संस्थाएं आपकी मदद कर सकें। ऐसे धाम आस्था के गहरे प्रतिक होते हैं और सभी वर्गों की गहरी आस्था उनसे जुड़ी होती है। चाहे कोई कितना बड़ा आदमी हो हर कोई यहां पर एक समान है। परमात्मा के द्वार पर सब एक हैं।
इस दौरान फलौदी के विधायक पब्बाराम बिश्नोई, लोहावट के विधायक किसनाराम, देवेन्द्र बुडिया, हीराराम भंवाल, नारायण राम डाबड़ी, हुकमा राम खिचड़, भागीरथ तेतरवाल, सुभाष देहडू, सहदेव कालीराणा, जगदीश कड़वासरा, रेशमा राम गोदारा, मनोहर लाल, सोमप्रकाश सीगढ़, रूपाराम कालीराणा, रावल ज्याणी, राजाराम खिचड़, बलदेव लोहमरोड़, रामस्वरूप धारणिाया, अमरचंद भीलवाड़ा, रामकुमार सिहाग, हनुमान सिंह, अशोक धारणिया, केसरीचंद, कानाराम, मोहनलाल, हजारी राम आदि उपस्थित थे।
Posted On : 09 May, 2022