जयपुर, कैलाश नाथ: इल्लुमिनाति ( जर्मनी की एक संस्था) का भारत मे शैक्षणिक धार्मिक सांस्कृतिक षडयंत्र । 1823 मे शतप्रतिशत साक्षरता वाला भारत अचानक निरक्षर अनपढ कैसे हो गया। हिन्दुओ के धर्म ग्रंथों और प्राचीन इतिहास पर संविधान के माध्यम से प्रतिबंध और 1858 भारतीय एजुकेशन एक्ट द्वारा गुरुकुलों एवं संस्कृत भाषा का अंत। संविधान की धारा 28,29,30 की धाराओं में साफ लिखा हुआ है की मुस्लिम मदरसे और इसाई स्कूल में कुरान बाइबिल पढ़ाया जा सकता है लेकिन किसी भी हिंदी स्कूल में वेद, गीता या रामायण, पुराण नहीं पढ़ाया जा सकता। ऐसा मैं नहीं कह रहा, यह संविधान की धारा 28, 29, 30 में लिखा है। यह पूरी तरह हिन्दूओ की सनातन संस्कृति को नष्ट करने का षड्यंत्र है इसे लागू करने में इल्लु ऐजेंट्स सफल भी हो गए।
भारत की देशी शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से ही सन 1858 में भारतीय एजुकेशन एक्ट की रूपरेखा बनाई गई थी जिसके अनुसार कान्वेंट स्कूल और इस्लामिक मदरसे तो चलाये जाएंगे पर सनातनी गुरुकुल और संस्कृत भाषा खत्म किये जायेंगे। इसकी ड्राफ्टिंग इल्लु एजेंट ‘लोर्ड मैकोले’ ने की थी लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। मैकाले का एक अंग्रेज अधिकारी था जी डब्ल्यू लिटनर और दूसरा था टामस मारथो दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था 1823 के आसपास की बात है ये लिटनर जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था। उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और डनदतव जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है।
उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता थी तब मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है और सनातन संस्कृति का अंत करना हो तो इनकी “देशी और सनातनी सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से सनातनी हिन्दू लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे। और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे और मैकोले ने एक मुहावरा इस्तेमाल किया “कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।”इसलिए उसने 1858 के एक्ट में सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी और ठप कर दी गई।फिर संस्कृत भाषा को गैरकानूनी घोषित किया गया और देश के सारे गुरुकुलों को घूम घूम कर खत्म कर दिया गया उनमे आग लगा दी गई और उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को मारा- पीटा, जेल में डाला गया।
1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय देश में इतने ही गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे। वो सब के सब आज की भाषा में उच्च शिक्षा के हुआ करते थे उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा, और इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से इल्लु के इशारे पर सारे गुरुकुलों को खत्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया।
उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी। बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के जमाने के यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं। भारत देश में आज साफ-साफ उस एक्ट का षडयंत्र समझ आ रहा यही कारण है कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है। अंग्रेजी में इसलिए बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है दूसरों पर क्या रोब पड़ेगा? लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है तो दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है?
फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईसा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे! ईसा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती है। समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृ भाषा और संस्कृति से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही इल्लु की रणनीति थी जो कि 200 वर्षीय बड़ी रणनीति थी और अब उसका समय पूरा होने वाला है आज सनातन संस्कृति की दुर्गति देख लीजिए।
आखिर किसके इशारे पर संविधान में धारा 28, 29, 30 हिन्दू विरोधी ऐक्ट को जगह दी गई? जबकि संविधान निर्माता ज्यादातर हिन्दू थे? आखिर किसके इशारे पर 1947 में 39000 बचे गुरुकुलों को 2019 मे खत्म करके 34 संख्या में पहुंचा दिया गया? आखिर किसके इशारे पर गुरुकुलों को छोड़कर मदरसो पर धन लुटा रहे हैं? वक्त है अभी, पहचानिए इन पर्दे के पीछे बैठे खिलाड़ियों को।
राष्ट्रीय भारशिव क्षत्रिय महासंघ
Posted On : 26 April, 2022