हिसार, राजेंद्र अग्रवाल: राजकीय महिला महाविद्यालय छात्राओं ने मंगलवार को गुजरी महल का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान छात्राओं को गुजरी महल से संबंधित ऐतिहासिक जानकारियां भी दी गई।
यह जानकारी देते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ आशा सहारण ने छात्राओं बताया कि गुजरी महल का निर्माण 14वीं शताब्दी में दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा कराया गया था। इससे पहले यहां घने जंगल होते थे, जहां अक्सर शिकार करने सुल्तान आया करता था और यहीं पर उनकी मुलाकात गुज्जर समुदाय की एक लडक़ी से हुई थी। उन्होंने आगे बताया कि इस किले में बलुआ पत्थर से निर्मित एक लाट है, जिसे हिसार की कुतुब मीनार भी कह सकते हैं। इस लाट के पूर्व में एक मस्जिद है तथा पश्चिम में फिरोजशाह तुगलक का दीवान-ए-आम व दीवान-ए-खास बने हैं, जहां पर सुल्तान आम जनता और कुछ खास लोगों से मिलता था।
प्राचार्या ने हिसार नगर के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पहले यह नगर एक चारदीवारी से घिरा हुआ था और इसमें प्रवेश व निकास के लिए चार दरवाजे बने हुए थे, जो दिल्ली गेट, नागोरी गेट, मोरी गेट और तलाकी गेट के नाम से विख्यात थे। पहले इस नगर के बीचों-बीच एक नहर बहा करती थी और जिस पर जहाज पुल बना हुआ था। इस नहर के आस-पास वाला क्षेत्र ठण्डी-सडक़ कहलाता था। समय के साथ-साथ इस नहरी क्षेत्र को पाट दिया गया और मकान व दुकानें बना दी गईं। इस अवसर पर प्रो. मधुबाला, सुनीता, प्रदीप शर्मा सहित सहायक सुखविंदर सिंह भी उपस्थित थे।
Posted On : 26 April, 2022