जल संरक्षण और फसल विविधिकरण में मक्का की अहम भूमिका: प्रो. बी.आर. काम्बोज

 हिसार,  राजेंद्र अग्रवाल:  कृषि में जल के संरक्षण एंव फसल विविधिकरण के लिए मक्का बहुत उपयुक्त फसल साबित हो सकती है। मक्का की उन्नत प्रौद्योगिकी की उपलब्धता और सरकार की उचित नीति व कार्यक्रम इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए बहुत जरूरी है। यह बात चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने विश्वविद्यालय में मक्का पर तीन दिवसीय वार्षिक कार्यशाला के समापन समारोह में बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कही। कार्यशाला में देशभर से विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न राज्यों से करीब 250 कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया था।
प्रो. काम्बोज ने कहा हलांकि पिछले वर्षों में देश में मक्का के अंतर्गत क्षेत्र और इसकी उत्पादकता में निरंतर वृद्धि हो रही है फिर भी उत्पादकता का वर्तमान स्तर काफी कम है। यह अंतर मुख्यत: भारत में फसल की कम अवधि और वर्षा आधारित क्षेत्र में मौसम की अस्थिरता के कारण हैं जहां मक्का के अंतर्गत करीब 80 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने कहा देश में मक्का की पैदावार बढ़ाने की दिशा में उन्नत किस्मों व हाइब्रिड विकसित करके कृषि वैज्ञानिकों ने अहम कार्य किया है। इन उन्नत किस्मों व मक्का के अंतर्गत क्षेत्र में हुई वृद्धि के कारण देश में इसका उत्पादन करीब 29 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। यदि अधिक संख्या में किसान इसकी खेती को अपनाएं तो यह उनके आर्थिक लाभ के साथ-साथ जल संरक्षण और खाद्यान्न सुरक्षा के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
मक्का की 14 संकर किस्मों का किया अनुमोदन
इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक एवं समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. के. श्रीनिवासन ने मक्का की खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी माध्यमों को अधिकाधिक प्रयोग में लाने पर जोर दिया। अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजना (मक्का) की परामर्श एवं अनुवीक्षक कमेटी के अध्यक्ष डॉ. एच.एस. गुप्ता ने हरियाणा व पंजाब में गिरते भू-जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए किसानों से धान के स्थान पर मक्का की खेती को अपनाने का आहवान किया। मक्का परियोजना के हैदराबाद केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. जे.सी. शेखर ने बताया कि इस वर्ष देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए मक्का की अधिक पैदावार देने वाली 14 संकर किस्मों का अनुमोदन किया गया है। अंतरराष्ट्रीय मक्का एवं गेंहू संशोधन केन्द्र (सीमिट) के वैज्ञानिक डॉ. पी.एस. जैदी ने भारत में मक्का की नई किस्में विकसित करने के लिए मक्का की उपलब्ध प्रजनन सामग्री पर प्रकाश डाला। मक्का अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. साईं दास ने हरियाणा में मक्का को फसल विविधिकरण के लिए शामिल किए जाने के लिए सरकार की प्रशंसा की।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा, कृषि कालेज के डीन डॉ. एस.के. पाहुजा, परियोजना के नॉडल ऑफिसर डॉ. रमेश कुमार, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र करनाल के निदेशक डॉ. ओ.पी. चौधरी, डॉ. मेहर चंद काम्बोज, डॉ. नरेन्द्र सिंह आदि को सम्मानित किया।


Posted On : 23 April, 2022