मसीहियों ने मनाया येशू मसीह के जी उठने का पर्व! उत्तर प्रदेश के सिधौना गांव में जानिए ईस्टर संडे का महत्व, ईसाइयों के लिए बहुत बड़ा दिन है ईस्टर संडे, जानिए ये कब है, क्या है इसका महत्व!

आजमगढ़, दीपक राज: ईस्टर डे 17 अप्रैल 2022- क्रिसमस डे के अलावा ईस्टर को भी ईसाई धर्म का बड़ा पर्व माना जाता है।  गुडफ्राइडे के बाद रविवार को ये ईस्टर संडे का पर्व होता है।

ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार ईसा मसीह को कई तरह की शारीरिक यातनाएं देकर सूली पर लटका दिया गया था। सूली पर लटकने से पहले भी ईसाह मसीह कह रहे थे, प्रभु इन्हें इनकी भूल के लिए माफ कर देना।  इसके बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे।  जिस दिन ये सब किया गया, उस दिन फ्राइडे का दिन था।

ईस्टर संडे के दिन जिंदा हुए थे ईसा मसीह
माना जाता है कि इसके बाद ईसा मसीह के शव को एक कब्र में रख दिया गया. मान्यता है कि इस घटना के तीसरे दिन रविवार को ईसा मसीह जिंदा हो गए थे. दोबारा जिंदा होने के बाद उन्होंने 40 दिनों तक अपने अनुयायियों को दर्शन दिए, इसके बाद वे ईश्वर की शरण में चले गए. इस घटना के बाद से फ्राइडे को गुड फ्राइडे के तौर पर मनाया जाने लगा और इसके बाद आने वाले संडे को ईस्टर संडे के तौर पर मनाया गया. ईस्टर का त्योहार ईस्टर संडे से शुरू होकर 40 दिनों तक चलता है.

ऐसे सेलिब्रेट किया जाता है ईस्टर संडे
ईस्टर संडे के दिन गिरजाघरों में एकत्रित होते हैं और यीशू की याद करते हैं।  उनकी याद में चर्च में मोमबत्तियां जलाते हैं।  यीशू के जीवित होने की खुशी में एक दूसरे को बधाइयां देते हैं. इसके अलावा बाइबल पढ़ते हैं।

जानिए ईस्टर रविवार से जुड़ी खास बातें
1. ईसाइयों के बीच ईस्टर को खुशी का दिन माना जाता है। 

2. ईस्टर संडे लोगों में बदलाव का दिन है. माना जाता है कि ईसाह मसीह के जीवित होने के बाद उनको यातनाएं देने वाले लोगों को भी बहुत पश्चाताप हुआ था।

3. ईस्टर संडे के दिन असंख्य मोमबत्तियां जलाकर यीशु के अटूट श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करते हैं. तमाम लोग इस दिन चर्च के अलावा अपने घरों में भी मोमबत्तियां जलाते हैं और प्रभु की महिमा के लिए लोग चर्च में आते है।  इस मौके पर बहन करीना, अनामिका, ज्योति, आँचल, गुड़िया, रानी, प्रीति और लोग मौजूद थे।


Posted On : 18 April, 2022