हिसार, राजेंद्र अग्रवाल: वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी धर्मेन्द्र घणघस ने पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के मूल्यों में आए दिन की जा रही बढ़ोतरी को अव्यवहारिक एवं नियम विरूद्ध बताया है। उन्होंने कहा कि यह केवल राजनीतिक आलोचना की बात नहीं बल्कि नियमों के खिलाफ है, जो सबसे बड़ा विषय है और इस पर केन्द्र सरकार को गौर करना चाहिए।
एडवोकेट धर्मेन्द्र घणघस ने मूल्य वृद्धि पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस समय पेट्रोल व डीजल को सरकार के नियंत्रण से बाहर करके ओपन मार्केट के हवाले किया गया था, उस समय घोषणा की गई थी कि अब पेट्रोल व डीजल का भाव बाजार भाव के अनुरूप तय होगा। स्पष्ट कहा गया था कि जब कच्चे तेल का भाव गिरेगा तो पेट्रोल व डीजल के दाम कम हो जाएंगे और जब कच्चे तेल के भाव बढ़ेंगे तो पेट्रोल व डीजल के भाव बढ़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की इस स्पष्ट घोषणा के बावजूद समझ में नहीं आ रहा है कि अब पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के भाव किस आधार पर बढ़ाए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव लगातार गिर रहे हैं, जिसके चलते पेट्रोल व डीजल के भाव कम होने चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हा रहा है और पेट्रोल व डीजल के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में लगता है कि केवल भाव ही नहीं बढ़ रहे बल्कि सरकार अपनी घोषणा से पीछे हट रही है और तेल कंपनियों को जनता को लूटने की छूट दे दी गई है।
एडवोकेट धमेन्द्र घणघस ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश की सरकारों को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे आम जनता को राहत मिले। पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ने से यातायात महंगा होता है और यातायात जब महंगा होगा तो हर आवश्यक वस्जु के दाम बढ़ना तय है। ऐसे में सरकार की यह जिम्मेवारी बनती है कि आम जनता को आवश्यक वस्तुएं उसकी पहुंच की दरों पर उपलब्ध करवाएं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री को पत्र भी लिखेंगे कि तेल के मूल्यों पर नियंत्रण किया जाए, तेल कंपनियों को लूट की छूट न दी जाए और यदि दरें कम न की जाए तो कम से कम सरकार की उस घोषणा के अनुसार तो की जाए जो तेल को खुले बाजार के हवाले करते समय की गई थी। अब तो स्थिति ही विपरीत हो रही है कि कच्चे तेल के दाम कम हो रहे हैं और बाजार में भाव बढ़ रहे हैं लेकिन यदि कहीं पर चुनाव होता है तो तेल के दामों को ब्रेक लग जाता है।