12.90 लाख के गबन में झूठी गवाही देने से मना किया तो तत्कालीन प्रिंसिपल ने लैब अटेंडेंट को नौकरी से निकाला -12.90 लाख रुपए के घोटाले मामले में चल रही जाँच में झूठ

 हिसार,  राजेंद्र अग्रवाल:  गवाही देने से मना करना एक आउटसोर्सिंग लैब अटेंडेंट को इस कदर महंगा पड़ गया कि घोटालेबाज प्रिंसिपल ने कॉलेज के कुछ प्रोफेसरों व कर्मचारियों संग मिलकर षडयंत्र रचकर न केवल उसे मानसिक व सामाजिक तौर पर प्रताड़ित किया बल्कि बिना किसी वजह नौकरी से भी निकाल दिया। सेवाएं समाप्त किए जाने के पीछे कॉलेज प्रबंधन ने पीड़ित लैब अटेंडेंट पर जो अनर्गल आरोप लगाए हैं, सभी बेबुनियाद व निराधार हंै जबकि सत्य यह है कि घोटालेबाज प्रिंसिपल इस पद पर अपने चहेते को नियुक्त करना चाह रहा था। जिस पीड़ित लैब अटेंडेंट की सेवाएं समाप्त कर दूसरे अभ्यर्थी को नियुक्त किया गया है, वह नियमों के बिल्कुल विपरित है क्योंकि इस पद के लिए मार्च 2015 में जब कॉलेज प्रबंधन द्वारा विज्ञप्ति निकाली गई थी, उसमें साफ-साफ लिखा था कि यह पद बीसी-बी के उम्मीदवार के लिए ही है। लेकिन पीड़ित लैब अटेंडेंट की सेवाएं समाप्त कर तत्कालीन प्रिंसिपल ने जिस चहेते उम्मीदवार को नियुक्ति दी थी,  वह सामान्य वर्ग से था। ऐसा भला कैसे हो सकता है। पद बीसी-बी के लिए रिजर्व किया गया हो और उस पर नियुक्ती जनरल कैटेगिरी के अभ्यर्थी को दे दी गई। पीड़ित की मानें तो यह पूरा षडयंत्र जांच में घिरे घोटालेबाज प्रिंसिपल ने कॉलेज के कुछ प्रोफेसरों व कर्मचारियों संग मिलकर रचा है। किसी ने पानी न पिलाने तो किसी ने दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ तो किसी महिला कर्मी ने महिलाओं से अपमान करने  के आरोप लगा दिए। पीड़ित के मुताबिक इनमेें से एक भी सच नहीं है। एसोसिएट प्रोफेसर अनुपम सेहरा परीक्षा ड्यूटी के समय पानी न पिलाने का आरोप लगा रही है, उस दिन परीक्षा केंद्र अधीक्षक द्वारा पानी पिलाने की ड्यूटी किसी अन्य कर्मचारी की लगाई गई थी। प्रदीप सेलवाल नाम के जिस आउटसोर्सिंग कर्मचारी ने दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा रहा है लेकिन इनकी शिकायत कॉलेज प्रबंधन ने न ही तो कथित आरोपी यानि प्रवीन यादव को बताया गया और न ही कोई एक्शन लिया गया। एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका ने जो फुल-पत्ते मंगवाने का आरोप लगाया है, वह घटना करीब एक साल पुरानी है। सवाल उठता है कि क्या एक साल से एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका सो रही थी जो उन्हें पहले यह सब याद नहीं आया। षडयंत्र के तहत कॉलेज प्रिंसिपल ने कॉलेज काउंसिल की मीटिंग बुलाई जिस बाबत प्रवीन यादव को कोई सूचना नहीं दी गई यानि आरोपी(कॉलेज प्रबंधन की नजर में ) को अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया और इस मीटिंग में काउंसिल सदस्यों ने प्रवीन यादव को सर्वसम्मति से नौकरी से निकाले जाने का प्रस्ताव पास कर दिया। आरटीआई से मिले तथ्यों व इन घटनाओं की तारिखों को देखने के बाद साफ पता चलता है कि यह सब एक बड़े षडयंत्र के तहत किया गया है। अब फिलहाल यह मामला सीएम मनोहर लाल, शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, गृहमंत्री अनिल विज, उपायुक्त हिसार के पास पहुंच गया है। पीड़ित प्रवीन यादव ने सीएम विंडो पर भी इस पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच किए जाने के साथ-साथ उन्हें मानसिक, सामाजिक व आर्थिक तौर पर टॉर्चर करने के आरोपी तत्कालीन कॉलेज प्रिंसिपल पीएस रोहिला, स्टेनोग्राफर प्रदीप सेलवाल, एसोसिएट प्रोफेसर अनुपम सेहरा,एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका समेत बिना किसी आधार के निलंबन का प्रस्ताव पारित करने वाली कॉलेज काउंसिल के खिलाफ सख्त एक्शन लिए जाने व उन्हें लैब अटेंडेंट के पद पर पुन: बहाल किए जाने की मांग की है।
क्लर्क बनाने का प्रलोभन देकर गबन के मामले में दिलवाना चाहते थे झूठी गवाही
राजकीय कॉलेज हिसार के तत्कालीन प्रिंसिपल पीएस रोहिला स्टूडेंट्स की फीस में किए गए 12.90 लाख रुपए के गबन के मामले में निदेशक, उच्चत्तर शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा की जा रही जांच के घेरे में थे। भ्रष्टाचार की शुरुआती जांच 13 अगस्त 2020 को विभाग द्वारा की जानी थी। पीड़ित प्रवीन यादव का आरोप है कि तत्कालीन प्रिंसिपल पीएस रोहिला ने इस जांच में मुझे झूठी गवाही के देने लिए एक कहा था। उन्होंने मुझे लैब अटेंडेंट से क्लर्क बनाने का प्रलोभन देते हुए कहा था कि जांच टीम जब आपसे (प्रवीन यादव) से पूछताछ करे तो उन्हें यही बयान देना है कि हमारे प्रिंसिपल पीएस रोहिला बहुत ही अच्छे अधिकारी हैं, सबका भला करते हैं। सबको साथ लेकर चलते हैं। और इन्होंने कोई गबन नहीं किया है और न ही ये ऐसा कर सकते हैं। लेकिन प्रवीन यादव ने जांच टीम के समक्ष बयान देने से इनकार कर दिया। जिस पर प्रिंसिपल पीएस रोहिला उसी दिन से उनसे रंजिश रखने लगे। भ्रष्टाचार के इसी मामले में दूसरी बार जाँच टीम 28 सितंबर 2020 से 1 अक्तूबर 2020 तक कॉलेज में रही।
आरटीआई ने इस तरह खोली पूरे षडयंत्र की पोल
अब इस षडयंत्र को ध्यान से समझें। इससे ठीक दो दिन पहले 26 सितंबर 2020 को एसोसिएट प्रोफेसर अनुपम सेहरा प्रिंसिपल पीएस रोहिला को दी एक शिकायत में आरोप लगाती हैं कि 15 सितंबर 2020 को आयोजित परीक्षा के दिन बार-बार कहने पर  भी प्रवीन यादव ने उन्हें आधा घंटा तक पानी नहीं पिलाया। अब सवाल उठता है कि उस दिन परीक्षा केंद्र में पानी पिलाने की डयूटी प्रवीन यादव की थी ही नहीं तो वे पानी कैसे पिला सकते हैं। आरटीआई से मिली जानकारी में खुलासा हुआ है कि 15 सितंबर 2020 को आयोजित यूजी/पीजी की परीक्षा के दिन पानी पिलाने की ड्यूटी रोबिन व कृष्ण की थी। प्रवीन यादव की डयूटी दफ्तरी की लगाई गई थी न कि पानी पिलाने की। वहीं आरटीआई से मिली जानकारी में अनुपम सेहरा ने स्वंय बताया है कि उस दिन उनकी तबियत खराब थी, बुखार था और गले में खुजली भी हो रही थी। अब सवाल उठता है कि यदि अनुपम सेहरा की तबियत खराब थी तो वे ड्यूटी पर क्यों आई थी। आरटीआई से मिली इस जानकारी ने कॉलेज प्रबंधन के इस पूरे षडयंत्र की पोल खोल डाली है। और सबसे खास बात इस पूरे प्रकरण बारे परीक्षा केंद्र अधीक्षक को कोई जानकारी ही नहीं है। साफ पता चली रहा है कि प्रिंसिपल ने रंजिशन एसोसिएट प्रोफेसर अनुपम सेहरा से मिलकर ये बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।

साजिश का चेप्टर-2 : कॉलेज प्रबंधन के पास नहीं है एक्सटेंशन लेक्चरर की शिकायत का कोई रिकॉर्ड
अब एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका द्वारा प्रवीन यादव पर लगाए आरोपों बारे में भी जान लीजिए। 21 अक्तूबर 2020 को तत्कालीन प्रिंसिपल पी.एस रोहिला को दी शिकायत में फुल-पत्ते न लाने का आरोप लगाया। इस शिकायत में उन्होंने बताया है कि अक्तबूर 2019 में मैंने प्रवीन यादव से फुल-पत्ते मंगवाए थे लेकिन प्रवीन यादव ने फुल-पत्ते लाने से इनकार किया तथा मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया। अब यहाँ सोचने वाली बात यह है कि एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका को आखिर एक साल बाद ही यह बात याद क्यों आई। इससे पहले उन्होंने कभी इस बारे में कॉलेज प्रबंधन को अवगत क्यों नहीं करवाया। एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका द्वारा द्वारा एक साल बाद अचानक बिना किसी वजह से की गई बेतुकी शिकायत से भी साजिश की बू साफ-साफ आ रही है। सबसे खास बात दीपिका द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं, उस शिकायत पर कोई डायरी नंबर नहीं है और न ही कॉलेज प्रबंधन के पास इसका कोई रिकॉर्ड है जिससे पता चलता है कि यह साजिशन तत्कालीन प्रिंसिपल के बहकावे में आकर किया गया है। प्रवीन यादव ने जब 14 जनवरी 2022 को कॉलेज प्रबंधन से आरटीआई के तहत एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका द्वारा अपने उपर लगाए गए आरोपों बारे जानकारी मांगी तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। आरटीआई से मिले जवाब में बताया गया है कि एक्सटेंशन लेक्चरर दीपिका द्वारा 21 अक्तूबर 2020 को कोई शिकायत नहीं दी गई थी। कॉलेज रिकॉर्ड में ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है।
वर्तमान प्रिंसिपल ने भी एक साल से नहीं दिया कोई जवाब
पूर्व प्रिंसिपल द्वारा मानिसक, आर्थिक व सामाजिक प्रताड़ना के शिकार पीड़ित प्रवीन यादव ने जब राजकीय कॉलेज हिसार की वर्तमान प्रिंसिपल कुसुम सैनी को अपने साथ हुए साजिश के पूरे प्रकरण बारे अवगत करवाते हुए इस मामले में इंसाफ की मांग की तो उन्होंने एक साल बीत जाने के उपरांत भी कोई जवाब नहीं दिया। पीड़ित प्रवीन यादव के मुताबिक उन्होंने गत वर्ष  8 अप्रैल 2021 को प्रिंसिपल कुसुम सैनी को दी शिकायत में पूर्व कॉलेज प्राचार्य द्वाराकिए गए टॉर्चर व षडयंत्र के तहत सेवाएं समाप्त करने बारे अवगत करवाते हुए उन्हें दोबारा से नौकरी पर बहाल किए जाने की गुहार लगाई थी। इस पत्र में प्रवीन यादव ने सवाल उठाए थे कि बीसी-बी के उम्मीदवार के लिए रिजर्व सीट पर आखिर जनरल कैटिगरी के उम्मीदवार को कैसे नियुक्त कर दिया गया। लेकिन आज लगभग एक साल बीत जाने के बाद भी प्रिंसिपल कुसुम सैनी की तरफ से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है।