हिसार, राजेंद्र अग्रवाल: युवाओं के लिए मशरूम उत्पादन में रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं। इसकी मांग को देखते हुए यह एक बढिय़ा व्यवसाय साबित हो सकता है। यह बात चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के विशेष कार्याधिकारी डॉ. अतुल ढ़ींगड़ा ने व्यक्त किए। वे विश्वविद्यालय के पौध रोग विज्ञान विभाग द्वारा मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण के समापन समारोह पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
डॉ. ढ़ींगडा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि मशरूम की पोषक गुणवत्ता व औषधीय महत्व की वजह से इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। देश में मशरूम की खेती तेज़ी से बढ़ रहीे है और इस व्यवसाय में युवाओं व किसानों की रूचि भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। उन्होंने कहा हरियाणा राज्य में विभिन्न प्रकार के कृषि अवशेष उपलब्ध है जिसमें धान व गेंहू का भूसा व अन्य कृषि अवशेष का अच्छे से प्रयोग किया जा सकता है और अच्छी गुणवत्ता की मशरूम उगाई जा सकती है। डॉ. ढ़ींगडा ने 30 प्रशिक्षु छात्रों को प्रमाण-पत्र वितरित किए और उन्हे भविष्य में आगे बढऩे के लिए शुभकामनाएं दी।
इस मौके पर पौध रोग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. हवा सिंह सहारण ने प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया कि जैसे जैसे कृषि योग्य भूमि व जोत के योग्य भूमि घटती जा रही है ऐसी अवस्था में किसानों के पास मशरूम की खेती करना अति उत्तम व्यवसाय है। उन्होंने युवाओं से आहवान किया कि वे नियंत्रित वातावरण में मशरूम उत्पादन करके व इसके साथ मशरूम के बीज की प्रयोगशाला लगाकर सफल उद्यमी बन सकते हैं।
इस प्रशिक्षण के संयोजक पौध रोग विभाग के सहायक वैज्ञानिक डॉ. जगदीप सिंह व डॉ. मनमोहन ने प्रशिक्षण दौरान की गई गतिविधियों बारे विस्तार से बताया।