दुनिया का यह एकमात्र अदभुत शिवलिंग: दो भागों का 'महाशिवरात्रि' पर होता है 'मिलन

पठानकोट, संजय पुरी: काठगड़ महादेव काँगड़ा हिमाचल प्रदेश...
दुनिया का यह एकमात्र शिवलिंग है जो कि मां पार्वती और भगवान शिव का प्रतिरूप माना जाता है। शिवलिंग दो भागों में बंटा हैं। यह गर्मियों में अलग हो जाते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन दोनों का अदभुत मिलन होता हैं।
हिमाचल प्रदेश कांगड़ा जिला के इंदौरा में विश्व का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो कि दो भागों में बंटा हुआ है। य‌ह भगवान शिव और मां पार्वती का रूप माना जाता है। मान्यतानुसार ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तित होने के साथ ही शिवलिंग के बीच का अंतर बढ़ता और घटता रहता है।
गर्मियों के मौसम में शिवलिंग अलग होकर दो भागों में बंट जाता है जबकि सर्दियों के मौसम में पुन: एक रूप धारण कर लेता है।
यह पावन शिवलिंग अष्टकोणीय है और काले व भूरे रंग का है। शिव रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊंचाई 7 से 8 फुट है जबकि मां पार्वती को समर्पित शिवलिंग की ऊंचाई तकरीबन 5 फुट है।
ये हैं काठगढ़ महादेव के प्रगट होने की कथा:
शिव पुराण की विधेश्वर संहिता के अनुसार पद्म कल्प के प्रारंभ में ब्रह्मा और विष्‍णु के मध्य श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। श्रेष्ठता साबित करने के लिए दोनों दिव्य अस्‍त्र उठाए और युद्ध के लिए तैयार हो गए। यह देखकर शिव वहां आदिन अनंत ज्योतिर्मय स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। इससे दोनों देवताओं के दिव्य अस्‍त्र स्वयं की शांत हो गए।
अदभुत शिवलिंग: दो भागों का 'महाशिवरात्रि' पर होता है 'मिलन'
ब्रह्मा और विष्‍णु दोनों स्तंभ का के आदि और अंत मूल जानने के लिए चल पड़े। भगवान विष्‍णु शुक्र का रूप धारण का स्तंभ का आदि जानने के ‌लिए पाताल लोक की ओर चला गए, मगर उसका अंत नहीं तालाश पाए। वहीं ब्रह्मा आकाश से यह कहकर केतकी फूल लेकर आ गए कि उन्होंने स्तंभ का अंत पा लिया है और यह केतकी का फूल उसके ऊपर लगा था। यह देखकर शिव वहां प्रकट हो गए और ‌विष्‍णु ने उनके चरण पकड़ लिए। तब उन्होंने कहा कि तुम दोनों समान हो। तभी से यह अग्नि तुल्य स्तंभ काठगढ़ के रूप में जाना जाने लगा।
अदभुत शिवलिंग: दो भागों का 'महाशिवरात्रि' पर होता है 'मिलन'
काठगढ़ मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ईसा से 326 वर्ष पूर्व जब सिंकदर जब पंजाब पहुंचा तो उसने अपने करीब पांच हजार सैनिकों को खुले मैदान में विश्राम करने के लिए कहा। उसने यहां देखा कि एक फकीर शिवलिंग की पूजा में मग्न है। सिंकदर ने फकीर से कहा कि आप मेरे साथ यूनान चलें, मैं तुम्हे ऐश्वर्य प्रदान करूंगा। फकीर ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और कहा कि आप थोड़ा पीछे हट जाएं और सूर्य का प्रकाश मुझ तक आने दें।
अदभुत शिवलिंग: दो भागों का 'महाशिवरात्रि' पर होता है 'मिलन'
फकीर की इस बात से प्रभावित होकर सिकंदर ने टिले पर काठगढ़ मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को समतल बनाया और चारदीवारी बनवाई। चारदीवारी के ब्यास नदी की ओर अष्ठकोणीय चबूतरे भी बनवाएं जो कि यहां आज भी हैं।
अदभुत शिवलिंग: दो भागों का 'महाशिवरात्रि' पर होता है 'मिलन'
मान्यता के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम के भाई भरत जब अपने ननिहाल कैकेयी देश कश्मीर जाते थे तो काठगढ़ शिवलिंग की पूजा किया करते थे।
अदभुत शिवलिंग: दो भागों का 'महाशिवरात्रि' पर होता है 'मिलन'
शिवरात्रि पर्व पर यहां तीन दिनों का मेला लगता है। मान्यता है कि शिव पार्वती के इस अनूठे शिवलिंग के दर्शन करने से भक्तों के पारिवा‌रिक और मानसिक दुखों का अंत होता है। जय अर्धनारिश्वर महादेव