हिसार, राजेंद्र अग्रवाल: गुलाबी सुण्डी के प्रकोप से बीटी नरमा की फसल को अधिक नुकसान होता है, इसलिए कपास की जिनिंग व बिनौलों से तेल निकालने वाली मिलों के लिए हिदायतें जारी की गई हैं।
यह जानकारी देते हुए कृषि उपमंडल अधिकारी पवन ढींगड़ा ने बताया कि विभिन्न राज्यों के कपास उत्पादित क्षेत्रों में गुलबी सुण्डी का काफी प्रकोप देखा गया है। बीटी नरमें के बिनौलों को वितरित या अन्य प्रयोग करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। जिनिंग व बिनौलों से तेल निकालने वाली मैसर्स मित्तल एग्रो, यस एग्रो इंडस्ट्रीज, अरहम कोलाइड, लक्ष्मी ग्वार गम इंडस्ट्रीज, दीपक कॉटन मिल्स, गणेशी लाल कोटन इंडस्ट्रीज, नवदुर्गा ऑयल एंड जनरल मिल, विशाल कोटन कंपनी, कमल एग्रो इंडस्ट्रीज, जेवीजी इंडस्ट्रीज, बनारसी दास कॉटन मिल, परमेश्वरी कॉटजीन, श्री महालक्ष्मी ट्रेडिंग कपंनी, टीए ट्रेंडिंग कंपनी, अभिशेक एग्रो इंडस्ट्रीज, सुरेश कुमार, राम किष्णा इंडस्ट्रीज, कूबेर कॉटन इंडस्ट्रीज, श्री बालाजी ऑयल मिल के लिए हिदायतें जारी की गई हैं। उन्होंने बताया कि मिलों में बिनौलों को खुले में भंडार ना करें तथा जरूरत पडऩे पर बिनौलों को पॉलीथिन सीट/मच्छरदानी से ढककर रखें और मार्च महीने के अंत तक प्रयोग में लाने का प्रयास करें। उन्होंने बताया कि जो बिनौलें प्रयोग में आने से रह जाते हैं, उन्हें अप्रैल महीने में ढक्कर या बंद कमरे में एल्यूमीनियम फास्फाइड से 48 घंटों तक धूमन करें, जिससे बिनौलों के अंदर मौजूद गुलाबी सुण्डी मर जाती है। मिलों में जिनिंग प्रक्रिया के दौरान निकले कचरे को खत्म कर देना चाहिए। कपास मिलों व अनाज मंडियों के आस-पास के खेतों में फेरोमोन ट्रैप लगाने चाहिए तथा इससे आए पतंगों को मार देना चाहिए।