" चार साल जेल हिरासत में रहने के बाद, बाईज्जत बड़ी हुई स्कूलकर्मी "

कोलकाता, संजय साहा: पॉस्को मुकद्दमा में आरोप साबित न होने पर, चार साल से जेल हिरासत में रहनेवाले, दक्षिण कोलकाता के एक प्राइवेट स्कूल कि एक ग्रुप डी स्टॉफ को बाईज्जत बड़ी कि आदेश दिया पॉस्को अदालत कि जज उमेश सिंह। अदालत सूत्रों के अनुसार, मनोज मन्ना नाम के उस कर्मी के खिलाफ एक गार्जियन ने उनकी नाबालिक लड़की के ऊपर यौन निर्यातन कि आरोप दायर किए थे बेहाला महिला थाना में। यह घटना घटी 2017 की 15 सितम्बर को। उसी आरोप के बिना पर वह कर्मी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ पॉस्को धारा में मुकदमा दर्ज करके अदालत में चार्जशीट जमा किया था पुलिस। इसके बाद अदालत में मुकदमा चलता रहा, करीब 25 साक्षी से बयान लिया गया, 2 सरकारी डॉक्टरों सहित कुल 4 डॉक्टरों से मेडिकल जांच कराई गई वह लड़की कि, लेकिन किसी भी तरह से यौन निर्यातन की आरोप साबित नहीं हुई। 4 साल मुकदमा चला और काफी सवाल जवाब के बाद जज ने आरोपी मनोज को बाईज्जत बरी कर दिया। इस दिन जज की आदेश सुनने के बाद मनोज ने कहा, "पिछले 4 साल मुझे रात को नींद नहीं आई। मेरी पत्नी और स्कूल में पढ़ने वाले मेरे बेटे को कई तरह की खराब बात सुनना पड़ा। मैं शुरू से बोल रहा था, कि मैं निर्दोष हूं, लेकिन कोई नहीं सुना। आज माननीय जज ने सही न्याय किया"। इस मुकदमा की सरकारी वकील ने कहा कि, "सारे सवाल जवाब सुनकर और सारा एविडेंस जांच के बाद महामान्य जज ने आरोपी को बाईज्जत बड़ी करने कि आदेश दिया "।