बेटियों की अपनी पहचान होना जरूरी : ज्योति बेटियों की अपनी पहचान होना जरूरी है

हिसार, राजेंद्र अग्रवाल : यह अच्छी बात है कि वह किसी नामी पिता की बेटी या फिर फेम की बहन हो, लेकिन उसकी उपलब्धि तभी मानी जाएगी, जब उसकी अपनी पहचान होगी। क्षेत्र कोई भी हो। बेटी में कुछ खास, कुछ अलग होना चाहिए जिससे परिवार का मान-सम्मान बढ़े। सीना चौड़ा हो जाए। उक्त विचार चौ. रणवीर सिंह विश्वविद्यालय जींद से फैकल्टी ऑफ ह्यूमनिटी एंड डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेल्फेयर डॉ. ज्योति श्योराण ने कही। वे शहर के सेक्टर 13 स्थित चार्टर्ड कार्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण दिवस पर देर शाम तक आयोजित समारोह में संबोधित कर रहीं थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधान सीए पवन मित्तल ने सभी को आश्वस्त किया कि वे एवं उनकी टीम सीए संबंधित एमसीएस, ओसी एवं आईटीटी के लिए गल्र्स स्टूडेंट्स पूरजोर मदद करेंगे। उपप्रधान सीए परमजीत सिंह ने अतिथियों का धन्यवाद किया। सचिव सीए अमन बंसल मंच संचालक रहे  तो कोषाध्यक्ष प्रतीक आर्य के अलावा सदस्य विशेष भारद्वाज, अमित छाबड़ा एवं राजदीप सिंह भी सक्रिय भूमिका में रहे। इससे पूर्व सीए परिवार के बच्चों एवं छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम कर बेटियों की शक्ति को दर्शाया। समारोह को पूर्व चेयरपर्सन सीए आशा जैन, सीए आकांक्षा चुघ, सीए रीतु चौधरी, सीए उमा गर्ग, सीए इंदु अग्रवाल आदि ने भी संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि महिला को नारी शक्तित्व को पहचान कर उसे सदुपयोग में लाना है। वह शक्ति की देवी दुर्गा है तो मदर इंडिया एवं बहन का भी किरदार निभाती आई है।
मुख्य अतिथि डॉ. ज्योति श्योराण ने कहा कि पूर्व की बात करें तो सती प्रथा और कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियां हावी थीं। समय के साथ व्यापक बदलाव आया। लेकिन चुनौतियां भी हैं, हमें उन हर बेटियों को पंख लगाने हैं, जो आसमां को छूना चाहती हैं। जहां पर भी जरूरत हो तो सार्थक प्रयास करना है। अब लिंगानुपात में निरंतर सुधार जारी है, यह जागरुकता को दर्शाता है। एक सशक्त महिला घरेलू, व्यवसायिक एवं सामाजिक कार्यों में सामंजस्य बनाए रखती है। हिसार ब्रांच ऑफ एनआईआरसी में ही देखें तो कुल 1351 में से 359 महिला सदस्य हैं। यह सशक्तिकरण एवं दूरदर्शिता को दर्शाता है।