हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए किये जा रहे सरकार के दावों पर कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चैयरमेन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि केवल मात्र हरियाणा में हेल्प डेस्क बनाने से यूक्रेन में फंसे हरियाणवीं की मदद कैसे होगी? सरकार ये बताएं। खोवाल ने सरकार से मांग कि हैं कि यूक्रेन में फंसे 1786 हरियाणा वासियों में से कितनो की वतन वापसी हुई और फंसे लोगों को निकालने के लिए हरियाणा सरकार क्या कर रही हैं? इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल प्रदेश वासियों को जवाब दें।
एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल से हाल ही में यूक्रेन से लौटी हिसार के सेक्टर 14 की रहने वाली प्रज्ञा आर्य ने मुलाकात कर वहां के हालातों बारे चर्चा की हैं। छात्रा ने मुलाकात के दौरान एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल के समक्ष आप बीती बताते हुए वहां फंसे भारतीयों की वापसी के लिए ठोस कदम उठवाने की मांग की हैं। कांग्रेस के लीगल डिपार्टमेंट के चेयरमैन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि जैसा सरकार की तरफ से दावे किए जा रहे हैं, वहां पर हालात इसके उलट हैं। पोलैंड के बॉर्डर एरिया तक पहुंचने के लिये एजेंट्स को भारी भरकम राशि देनी पड़ रही हैं, इसके साथ ही खाने पीने की भी वहां कोई व्यवस्था नहीं है। वहां के विडियो स्टूडेंट्स के दर्द को बयां करने के लिए काफी हैं। खोवाल ने कहा कि सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात तो यह हैं कि स्टूडेंट्स लगातार भारतीय दूतावास वालों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, मगर उनके फोन तक रिसीव नहीं किये जा रहे। यूक्रेन में फंसे भारतीयों की मदद का सरकार केवल नाटक कर रही हैं, मंत्री जहाज में जाकर जिस तरह से हंस हंस कर इस गंभीर मुद्दे पर बाते कर रहे हैं वो उनकी संजीदगी को जाहिर करता हैं। आज भी हजारों भारतीय वहां मदद की दरकिनार में हैं। सरकार ने दूसरे देशों की तरह समय रहते कदम उठा लिए होते तो आज देश का भविष्य वहां दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर ना होता। खोवाल ने केंद्र सरकार से मांग की हैं कि वहां फंसे भारतीयों की मदद के लिए तेजी से रेस्क्यू चला उनकी वतन वापसी करवाई जाए।
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यूक्रेन के विद्यार्थियों को विकल्प दें सरकार
कांग्रेस के लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चैयरमेन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने युद्ध के कारण बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को भारत में एजुकेशन पूरी करने का विकल्प देने की मांग की हैं। खोवाल ने कहा कि वहां के हालातों के कारण किसी की पढ़ाई 3 साल बाद तो किसी की 4, और 2 साल बाद रुक गयी हैं। सरकार वहां से लौटे भारतीय स्टूडेंट्स के लिए यहां विकल्प की व्यवस्था करें ताकि इनकी एजुकेशन पूरी हो सके।