बाड़मेर, राजस्थान, गिरधारी लाल पारीख: यूक्रेन से भारतीय होने के नाते मुझे कोई भी सहानुभूति नही है और उसका कारण भी है।
यूक्रेन ने भारत का कभी भी साथ नही दिया। जब हमारे उपर प्रतिबन्ध लगा तो UNO मे उसने प्रतिबन्ध के पक्ष मे वोट किया।
इसके पास यूरेनियम का भंडार था फिर भी बार बार मांगे जाने पर भी इसने कभी भी देना तो दूर हमारे तत्कालीन PM को दूरदूरा दिया। सीधे मुँह बात तक नही किया, जबकि भारत अपनी ऊर्जा के लिए यूरेनियम खोज रहा था।
अब उसका क्या होता है इसपर मेरा कोई भी मत नही है। हां उसके नागरिको के साथ सहानुभूति अवश्य है। कमज़ोर युक्रेन(जो की अपने आप बना) के साथ वही हो रहा है तो नेहरू के समय 1947 से पहले और उसके बाद हुआ। अर्थात विभाजन और देश के सीमा पर अतिक्रमण।
इसलिए जो लोग यूक्रेन के समर्थन में दुबले हो रहे है उनको समझना चाहिए कि यूक्रेन हमारा एक दुश्मन है जिसने कभी भारत का साथ नही दिया।