हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा के नगर निकाय क्षेत्रों में की गई विकास शुल्क बढ़ोत्तरी का नोटिफ़िकेशन तुरंत रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि ये ‘विकास शुल्क’ नहीं विनाश शुल्क है। बजट सत्र से पहले हरियाणा सरकार द्वारा जारी ‘विकास शुल्क’ नोटिफ़िकेशन जनता से बड़ा धोखा है। आर्थिक तंगी का शिकार जनता से विकास शुल्क के नाम पर लूट न केवल लोगों की जेब पर नाजायज़ डाका है, बल्कि ये सरेआम तहसील-नगर निकाय स्तर पर भ्रष्टाचार को न्योता है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि सरकारी वसूली अब जनता के खून चूसने के स्तर तक पहुंच चुकी है। एक तरफ सरकारी महकमे भ्रष्टाचार से लूटे जा रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ सरकार अपने बजट को संवारने के नाम पर आम लोगों के घरेलू बजट को बिगाड़ने पर उतारू हो रही है। पहले से ही आर्थिक तंगी की शिकार जनता से विकास शुल्क के नाम पर अत्याधिक सरकारी वसूली पर लगाम लगनी चाहिए। उन्होंने इस फैसले को जनविरोधी और विकास विरोधी फैसला बताया।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा विकास शुल्क वृद्धि के फैसले से शुल्क दरों में 10 गुना तक बढ़ोत्तरी होगी। जिसका सीधा दुष्प्रभाव आम जनता की जेब पर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की हुड्डा सरकार के समय लाल डोरे (पुरानी आबादी) में पहले कोई शुल्क नहीं देना पड़ता था, लेकिन मौजूदा बीजेपी-जेजेपी सरकार ने उस पर विकास शुल्क लगा दिया। इसके अलावा, जो विकास शुल्क पहले 100 गज के प्लाट पर 120 रुपये के हिसाब से 12,000 रुपये था, वो सरकार के इस फैसले के बाद अब कहीं 50 हजार, तो कहीं 70 हज़ार और बड़े शहरों में 1 लाख रुपये तक भी भरना होगा। और तो और, जिन लोगों ने पहले से विकास शुल्क जमा करा रखा है और किसी कारण से निर्माण नहीं करा पाए उनको भी नयी दरों के हिसाब से अंतर धनराशि का भुगतान करना होगा।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार विकास शुल्क के नाम पर आम लोगों पर कमरतोड़ प्रहार कर रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियों का कॉर्पोरेट टैक्स तो सरकार कम कर रही है और आम गरीब व मध्यम वर्ग पर टैक्स का बोझ बढ़ाती जा रही है। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते हर धंधा मंदा हो गया है। बेरोज़गारी और महंगाई बढ़ती जा रही है, सरकार राहत देने की बजाय आम लोगों पर और अधिक आर्थिक चोट मार रही है। सरकार ने पहले सारे धंधे ख़तम करके आम लोगों की जेब खाली कर दी, फिर रिकॉर्डतोड़ महंगाई बढ़ाकर आम आदमी की चमड़ी उतार दी और अब इस प्रकार के टैक्स लगाकर लोगों के घाव पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। जिससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया है और अपना परिवार पालना तक मुश्किल हो रहा है। ऐसे में विकास शुल्क के नाम पर आम आदमी अतिरिक्त धन कहाँ से लाएगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने विकास के नाम पर हरियाणा में एक नये पैसे का काम नहीं किया और हरियाणा को ढाई लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डुबो दिया। 2014 के बाद के 7 साल में बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश पर कर्ज साढ़े तीन गुना बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ हो गया। जबकि इस दौरान प्रदेश में कोई भी बड़ी परियोजना स्थापित नहीं हुई। सवाल है कि यह हजारों करोड़ रुपया किसके विकास में खर्च हुआ? इसके उलट, मौजूदा सरकार ने हमारे द्वारा मंजूर कराई गई रेल कोच फैक्ट्री, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जैसी विकास और रोज़गार से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को चुपचाप दूसरे प्रदेशों में जाने दिया।