कुशीनगर, सतनीश: कुशीनगर में कल शादी समारोह में लोगों की भीड़ एक ढके हुए कुंऐ के स्लैब के टूट जाने पर उस पर बैठे हुए कई महिला और बच्चे उस में गिर गये तो रात के अंधेरे में अपनी जान की चिंता किये बगैर कुंएं के ठंडे गहरे पानी में पूजा ने रस्सी और
सीढ़ी के सहारे अपनी जान की परवाह किए बगैर पांच महिलाओं और बच्चों की जान बचाई...पर छठे की जान
बचाते समय धरती माता ने उसे अपने आगोश में ले लिया....
पूजा के पिता सेना में थे और पूजा खुद सेना में जाने की
तैयारी कर रही थी पर ईश्वर को शायद ये मंजूर नही था....
शायद मिडिया को इस बहादुर बेटी कोई खबर नही है ❓
क्योंकि इसमें अल्पसंख्यक/बहुसंख्यक वाला ऐंगल नहीं है..
दलित सवर्ण वाली नौटंकी नहीं है मरने और बचाने वाली दोनों
ओबीसी पिछड़े जाति से हैं।
न ही कोई सेक्युलर मीडिया दलित चिंतक कम्युनिस्ट को इस हादसे कई खबर है, पर हां.... ?अगर यहीं बचाने वाला/वाली भटके हुए समुदाय या अन्य किसी जाति का होता तो आप सब इनका महिमामंडन देखते❓ ले लेकर लोग वहां पहुंचते ❓
जिस वक्त हादसा हुआ पूजा के साथ डूबने वालों में उसकी मां भी थी. उसने अपनी मां लीलावती को भी बचाया. इसके बाद अनूप, उपेंद्र एक-एक कर पांच अन्य लोगों को बचाया.
छठे की जान बचाते वक्त वह खुद कुआं में डूब गई. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पूजा को धुन सवार थी कि वह
सभी को बचाएगी. वह लखनऊ में रहकर सेना में भर्ती की तैयारी कर रही थी. बता दें कि तहसीलदार शाही महाविद्यालय सिंगहा में पूजा बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. पिता बलवंत यादव जम्मू कश्मीर में आर्मी में हवलदार पद पर तैनात हैं. उसके दो जुड़वां भाई आदित्य और उत्कर्ष हैं. क्लास नौ में पढ़ते हैं. पूरा परिवार शिक्षित है. पूजा खुद की तरह ही अपने भाइयों को भी सेना, पुलिस में भर्ती करवाना चाहती थी.लेकिन
खैर... मै राष्ट्रवादी सज्जन कुमार जायसवाल अपने सभी राष्ट्रवादी सनातनी हिन्दू समाज की तरफ से पूजा बहन को सैल्यूट करते हुए उन के चरणों मे श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ...
जो काम बॉर्डर पर आप सेना में जाकर देश की रक्षा करती
वही काम आपने समाज की रक्षा करते हुए कर दिया है।
अपना सर्वस्व न्योछावर करते है।