हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों का हमेशा स्वागत किया है तथा उनकी समस्यओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहता है। जहां तक कैलेंडर के मामले को प्रशासन को 31 जनवरी की शाम को संज्ञान में आया और तुरन्त प्रभाव से छोटे कैलेंडर छपवा दिए गए और बडें कैलेडर का अन्तरिम प्रबन्ध किया गया। अगले दिन जब कुछ किसान आएं तो उन्हे ससम्मान कुलपति के साथ वार्ता के लिए बुलाया गया। जहां यह तय हुआ कि सोमवार को नए कैलेंडर बन कर आ जाऐगें और इस विषय की गहनता से जांच कि जाएगी और जांच की जिम्मेदारी डॉ राम निवास ढांडा, निदेशक अनुसंधान को दी गई। सोमवार को कैलेंडर बन कर आ गए और किसान भाईयों को दे दिए गए। जहां तक डॉ विनय महला के तबादले की बात है तो इसका कैलेंडर से कोई संबंध नही है। उनसे संबंधित तथ्य यह है:-
1. डॉ विनय महेला ने स्वीकार किया है कि उन्होनें प्रशासन को कभी भी इस विषय के बारे में अवगत नही करवाया ना ही हौंटा प्रधान ने प्रशासन को अवगत करवाया क्योंकि डॉ विनय महेला का तबादला 25 को हुआ था और यह मुद्दा 31 को उठा।
2. 20 तारीख को डॉ डी पी मलिक, विभागाध्यक्ष, कृषि अर्थशास्त्र ने पत्र देकर उनसे पुछा कि 19-20 तारीख को अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय के औचक निरीक्षण के दौरान वह कार्यालय में मौजूद नही थे और न ही उनके द्वारा टूर प्रोग्राम दिया गया था।
3. इनका इस तरह का रैव्या पहले भी रहा है जिसमें न केवल काम न करने व अपने अधिकारी को धमकी देने का वाक्या भी शामिल है। 4 मई 2019 डॉ पवन कुमार स्कीम ईंचार्ज ने लिखित में धमकाने व कार्य न करने की शिकायत दी थी। जब कार्य अनुपस्थिति से संबंध में पूछा गया तो उन्होनें डॉ पवन से न केवल बदतमीजी की बल्कि उनको धमकाया भी इसके कारण 2 अगस्त 2019 को उनका तबादला हिसार से केवीके अम्बाला कर दिया गया था। डॉ विनय महेला ने 4 जुलाई 2018 को हिसार कैम्पस में सर्विस की शुरूआत की थी। मात्र एक साल में ही उनको कार्य न करने व उनके स्वभाव की वजह से उनका तबादल हुआ। अभी कुछ समय पहले ही उनका तबदला अम्बाला से हिसार हुआ था लेकिन थोडे समय में ही डयूटी में लापरवाही, अनुपस्थित रहने का व्यवहार बना रहा जिसके लिए उन्हे विभागाध्यक्ष द्वारा पत्र भी दिया गया।
हालाँकि इस बात को नजरअंदाज करते हुए सामान्य प्रक्रिया से उनका एवं दो अन्य शिक्षकों का और तबादला हुआ। ज्ञात रहे कि पिछले कुलपति के कार्यकाल के नौ महीने में 55 शिक्षकों का तबादला बाहरी केन्द्रों पर हुआ जबकि वर्तमान कुलपति के 9 महीने के कार्यकाल में केवल नौ शिक्षकों का जरूरत के हिसाब से तबादला हुआ।
इस प्रकरण में 31 जनवरी से पहले इनके द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति ने द्वारा फोटो का प्रकरण प्रशासन के संज्ञान में नही लाया गया था। यह सारा प्रकरण 31 के बाद ही सोशल मीडिया पर आया था तथा उपरोक्त दिए गए तथ्यों से साफ हो जाता है कि डॉ विनय महेला के तबादले से इस प्रकरण का कोई संबंध नही है यह केवल एक प्रशासनिक फेरबदल है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एक उच्च शिक्षण संस्थान है एवं यहाँ के सभी शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी इस राजनीतिक प्रकरण से बहुत आहत है। सभी किसान भाईयों से निवेदन है कि किसी भी भ्रमक प्रचार में न आएं ताकि विश्वविद्यालय में सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहें।