श्री आई माताजी प्राण प्रतिष्ठा गुडा अखेराज (पाली ) में पुरे 6 दिवसीय श्री आईमाता जी मंदिर वडेर की प्राण प्रतिष्ठा

 राजस्थान पाली, जगदीश सीरवी : 31 जनवरी को हवन यज्ञ से प्रारंभ कर 5 फरवरी को पूर्ण हुई, गुडा अखेराज गांव की आई माता वडेर मे मुर्ति स्थापना, पाट स्थापना एवं अखंड ज्योति की स्थापना आई पंथ के धर्म गुरु दीवान माधवसिंहजी के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुई, पूरे छ दिन का कार्यक्रम जाजम स्थापना से,भट्टियों का मुहूर्त, हवन यज्ञ, भजन संध्या के साथ साथ विभिन्न बोलियां, मोबण रोपण, बेल बधावा, ओर तोरण के कार्यक्रम हुये, भजन संध्या मे राजस्थान के सुप्रसिद्ध गायक कलाकारो द्वारा प्रस्तुति पेश की गयी एवं माताओ , बहेनो व बालिकाओ द्वारा माताजी के भक्ति संगीत पर बहुत ही शानदार कार्यक्रम किये गए। 5  फरवरी को धर्मगुरु दीवान साहब ने प्रातः अभिजीत मुहूर्त में माताजी की मूर्ति, पाठ व  ज्योत की स्थापना की , इसी दोरान विभिन्न बोलीया के लाभार्थियों को परिवार के साथ संबंधित बोली अनुसार पूजन किया गया, साथ ही शिखर कलश ईण्डा की बोली एवं अमर ध्वजा के लाभार्थी परिवार द्वारा चढावा चढाया गया, धर्म सभा में दीवान माधवसिंहजी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए धर्म के मार्ग चलने को कहा, धर्म सभा में पधारे सभी साधु संतो एवं मुख्य वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया।  इस कार्यक्रम में अग्रणीय महानुभावों की उपस्तिथि थी जिनका वडेर की कमिटी द्वारा स्वागत किया गया और समस्थ 36 कोम ग्रामवासियों का साथ सहकार और प्यार मिला। समाज के लिए कुछ कर दिखाने के जज़्बे और अच्छा संदेशा मिले आगे बढ़ती पीढ़ी को इसके लिए इस वडेर की कमिटी ने शिक्षा के लिए एक पहल की।  जिसमे श्री आईजी संस्थान रानी 51,000 ,श्री आईजी विद्यापीठ जवाली 51,000 , व सीरवी छात्रावास पाली  51,000  इन् तीनो संस्थानो को राशि देने की घोसणा की गयी।  साथ ही में इस पुरे कार्यक्रम में नशामुक्ति के प्रेरक गोपारामजी पवार से प्रेरणा लेकर पुरे कार्यक्रम में अफीम एवं तजारा का उपयोग नहीं किया गया। गुडा अखेराज आई माताजी के वडेर के प्रांगण में आई माताजी की एवं धर्म गुरु दीवान माधवसिंहजी की हूबहू रंगोली बनायीं गयी। वडेर के कमिटी के मार्गदर्शन से विमला सुपुत्री वक्तारामजी ने धर्म गुरु  माधवसिंहजी  को पीपल के पत्ते पर बनी पेंटिंग गिफ्ट की जिसमे आई माताजी एवं धर्म गुरु दीवान माधवसिंहजी का चित्र था, जिसे देख कर उनका मन और ह्रदय प्रसन्न हो गया और इसी तरह हर्षोल्लास से कार्यक्रम संपन्न हुआ।