आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए किसानों को जागरूक करें वैज्ञानिक : प्रोफेसर बी.आर.काम्बोज

हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः  चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर.काम्बोज ने कहा कि किसानों को नई कृषि तकनीकों के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि उन्हें अपनी कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके। इसके लिए वैज्ञानिकों का कर्तव्य बनता है कि वे किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा विकतिस आधुनिक तकनीकों जैसे जीरो टिलेज, लेजर लेवलिंग, बेड प्लांटिंग, सूक्ष्म एवं टपका सिंचाई आदि को अपनाने के लिए जागरूक करें। वे हरियाणा व दिल्ली राज्यों के कृषि विज्ञान केंद्रों की राज्य स्तरीय योजना कार्यशाला को ऑनलाइन माध्यम से बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। इस वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली व चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2025 तक खाद्यान्न 343, दूध 171, सब्जियां 168, फल 81, चीनी 22, खाद्य तेल 13 और मछली, मांस और अंडे 27 मिलियन टन खाने की जरूरत को पूरा करने के लिए आवश्यकता होगी। इसलिए किसानों की आजीविका को बनाए रखना और उनके द्वारा अपनाई जा रही कृषि प्रणाली को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मिट्टी और पानी जैसे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए संरक्षण कृषि पर जोर देना चाहिए। देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आवास की बढ़ती मांग, शहरीकरण और औद्योगीकरण के बढ़ते स्तर के कारण, उपजाऊ कृषि भूमि का महत्वपूर्ण क्षेत्र गैर-कृषि उपयोग में स्थानांतरित किया जा रहा है। ये कारक खाद्य सुरक्षा और आजीविका के अवसरों को खतरे में डाल रहे हैं। सबसे अधिक प्रभावित होने वाले संसाधन पानी, मिट्टी, उर्वरक, अन्य रासायनिक इनपुट, वायु और लोग हैं। इसलिए, संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकी (आरसीटी) पर ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है, जो खेती की लागत को कम करने, मिट्टी के कार्बन निर्माण को बेहतर बनाने, पानी के बहाव को कम करने और मिट्टी के क्षरण आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कार्यशाला के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इन कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक हुए शामिल
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान, जोन-2, जोधपुर राजस्थान के निदेशक डॉ. एस.के. सिंह ने इस कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 की कार्ययोजना को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की और भविष्य के लिए किसान हितैषी योजनाओं को प्राथमिकता दी। इस कार्यशाला में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से हिसार, फरीदाबाद, फतेहाबाद, कैथल, जींद, रोहतक, सोनीपत, भिवानी, यमुनानगर, झज्जर, कुरूक्षेत्र, महेंद्रगढ़, सिरसा, पानीपत, एनडीआरआई करनाल, आईएआरआई नई दिल्ली, कृषि विज्ञान केंद्र दिल्ली, गैर सरकारी संगठन अंबाला व रेवाड़ी आदि के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कुलसचिव डॉ. एस.के. महत्ता, अनुसंधान निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा सहित सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठात, निदेशक, विभागाध्यक्ष व विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों के इंचार्ज शामिल हुए।