कोटा, मोहन सिंह: ऑल इंडिया एससी-एसटी रेलवे एंप्लाइज एसोसिएशन के जोनल अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष सहित तीन पदाधिकारियों को एसोसिएशन के कोटा पदाधिकारी द्वारा कानूनी नोटिस प्रेषित करवाया गया है। जिसमें वर्ष 2016 से आय-व्यय के हिसाब किताब व लेखा-जोखा में अनियमितताएं एवं गड़बड़ी कर गबन का आरोप लगाया है।
परिवादीगण ऑल इंडिया एससी-एसटी रेलवे एंप्लाइज एसोसिएशन पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर के जोनल उपाध्यक्ष मोहन सिंह एवं जोनल कार्यकारी सदस्य चंपा राम मीणा द्वारा जरिए अपने अधिवक्ता एडवोकेट ऋषिराज नागर नोटिस जोनल कोषाध्यक्ष ए.पी.वाघमारे,जोनल अध्यक्ष करतार सिंह,जोनल महासचिव पुरुषोत्तम आठिया को प्रेषित किए गए हैं।
परिवादीगण के अनुसार आरोप लगाया गया है कि ए.पी.वाघमारे विपक्षी क्रम-1 कोषाध्यक्ष के पद पर रहते हुए एसोसिएशन के आय-व्यय का हिसाब किताब का लेखा जोखा किया जाता है और एसोसिएशन के कोष की जिम्मेदारी एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा आप पर विश्वास जताते हुए आप को कोषाध्यक्ष पद पर निर्वाचित किया गया है तथा एसोसिएशन के उसको सुरक्षित व हिसाब-किताब रखने की जिम्मेदारी आपकी है तथा आप के द्वारा एसोसिएशन का कोषाध्यक्ष बनने के बाद एसोसिएशन द्वारा आहूत की जाने वाली तो आम बैठक में उपस्थित हुए,उक्त बैठक में आपसे परिवादीगण सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा हिसाब मांगे जाने पर वर्ष 2016 से एसोसिएशन का हिसाब नहीं दिया जा रहा है जबकि कोष का हिसाब देने का कोषाध्यक्ष का विधिक दायित्व व नैतिक जिम्मेदारी है। कोषाध्यक्ष द्वारा एसोसिएशन के कोष का हिसाब नहीं दिया जाकर विधिक दायित्व एवं नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया जा रहा है तथा पद का दुरुपयोग किया जा रहा है। एसोसिएशन के कोष का हिसाब प्रस्तुत नहीं किए जाने पर ऐसा प्रतीत होता है कि करतार सिंह अध्यक्ष व पुरुषोत्तम आठिया महासचिव के साथ मिलकर षड्यंत्र व साजिश के तहत एसोसिएशन के कोष का दुरुपयोग अपने निजी हितके लिए किया जा रहा है और गैरकानूनी रूप से कोष का दुरुपयोग कर गबन किया जा रहा है। जिसका कोषाध्यक्ष,अध्यक्ष,महासचिव को कोई कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादीगण द्वारा कई बार हिसाब देने के लिए आग्रह किया गया,परंतु जानबूझकर उसका हिसाब नहीं दिया जा रहा है और एसोसिएशन के सदस्यगणों के साथ विश्वासघात व धोखा किया जा रहा है। उक्त कृत्य भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। आगामी 7 दिनों में परिवादीगण सहित अन्य पदाधिकारियों एवं सदस्यों के समक्ष उसका हिसाब प्रस्तुत करें।समयावधि बीत जाने के पश्चात न्यायालय में फौजदारी कार्रवाई हेतु मुकदमा दर्ज करवाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जिसके हर्जे-खर्चे की जिम्मेदारी विपक्षीगण की होगी।