केन्द्र का बजट पूरी तरह से निराशाजनक व जनविरोधी : मनोज राठी


     हिसार (हरियाणा), राजेन्द्र अग्रवालः आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एवं पूर्व जिला पार्षद प्रतिनिधि मनोज राठी ने केन्द्र सरकार पेश किए गए आम बजट को नो इन्कम व नो इन्कम टैक्स वाला बजट बताया है। उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक व जनविरोधी है लेकिन सत्तापक्ष के लोग इस पर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
मनोज राठी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्तवर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए बजट ने किसान, मजदूर तथा देश की आम जनता को निराश किया है। बजट में एक बार फिर से तरह-तरह के प्रस्ताव लाकर इसे लोक लुभावन बनाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को इस बजट में कुछ नहीं मिला। केंद्र सरकार ने इस आम बजट में आमजन के हितों की भी पूरी तरह से अनदेखी की है। गरीबों के लिए इस बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। बजट में वित्त मंत्री में खेती में एग्री ड्रोन को बढ़ावा देने की बात कही है लेकिन सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते हमारे देश के किसानों के आर्थिक हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि ये ड्रोन खरीदना उनकी पहुंच से बाहर की बात है। ड्रोन की बात करने वाली केंद्र सरकार को चाहिए कि किसानों को खेती के लिए बुनियादी जरूरत खाद की पूर्ति ही कर दे जिसके लिए उन्हें, यहां तक कि महिलाओं को भी रात-रात भर लंबी लाइनों में लगना पड़ता है।
मनोज राठी ने कहा कि बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव ना करके नौकरीपेशा व आम जनता पर टैक्स के बोझ को कम नहीं किया जाना उनके साथ नाइंसाफी है। सामान्य वर्ग को टैक्स स्लैब में कोई राहत न देकर सरकार ने पहले से आर्थिक बोझ तले दबे इस वर्ग को कोई राहत प्रदान नहीं की। पेश किया गया बजट कार्पोरेट जगत के हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जिससे गरीब व अमीर के बीच खाई और बढ़ेगी। देश के गरीब तबके की बजट में उपेक्षा हुई है। इस बजट से महंगाई और अधिक बढ़ेगी जिसका सीधा असर सामान्य, मजदूर व गरीब वर्ग पर पड़ेगा। क्रिप्टो कैरेंसी को मान्यता से कालेधन की समस्या बेलगाम हो सकती है। युवाओं को 60 लाख रोजगार देना इसलिए खोखला साबित हो रहा है क्योंकि पूर्व में भी देश के करोड़ों युवाओं को रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे लेकिन देश में बेरोजगारी और महंगाई अपने चरम पर है। उन्होंने कहा कि जबसे भाजपा सरकार बनी है सिर्फ यह झूठे आंकड़ों, झूठे दावों व जुमलों के सहारे चल रही ही है हर बार बजट में किसानों, युवाओं, महिलाओं व व्यापारियों सहित अन्य वर्गों के लिए घोषणाएं तो होती हैं मगर बजट में की गई घोषणाएं कितनी पूरी हुई और कितनी अधूरी रही इसे नंजरअंदाज कर दिया जाता है। पिछली बार की तरह इस बार भी वित्तमंत्री ने आंकड़ों के माध्यम से लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है।