जयपुर, कैलाश: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 बचपन से लेकर जवानी तक अग्रसर हो चुका है पूर्वांचल में राजभर जाति के नाम पर पार्टी के मुखिया असलम राजभर अभी तक 5 सीट क्लियर कर दिया है 3:00 पर 3 सीट पर गैर जाति के मोटा रकम लेकर 2 सीट पर बाप बेटा चुनावी मैदान में है। उत्तर प्रदेश में बीते हुए पंचायत चुनाव में हजारों नौजवानों युवाओं का भविष्य रद्द कर देने वाले जिला पंचायत क्षेत्र पंचायत ग्राम पंचायत सीटों पर अपने ही समाज के युवाओं को चुनाव हरा देने वाले शख्स असलम राजभर की घटिया राजनीति 18 वर्ष से जो युवा इनका टाट पट्टी बिछाते थे लाउडस्पीकर लगाते थे एक एक गांव गांव अथक मेहनत और प्रयास करके पार्टी को डिवेलप किया लेकिन आज एक भी मूल राजभर समाज के कार्यकर्ताओं को टिकट कहीं से नहीं दिया गया ना कहीं मिलने वाला है..
इतनी बारीकी से राजभर समाज का शोषण हो रहा है कि कार्यकर्ता मियांऊ तक नहीं बोल पा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी से अलग होने के बाद असलम राजभर को उनके कार्यकर्ता मुख्यमंत्री तक बनाने का सपना सजो लिए थे। अब डिप्टी सीएम तक का सपना उनके कार्यकर्ता देख रहे हैं। असलम राजभर का मुद्दा समाजवादी पार्टी के संकल्प पत्र में एक भी नहीं जोड़ा गया है। इतनी सद्बुद्धि से और विनम्रता से अपने कार्यकर्ताओं की आंखों में धूल झोंक देते हैं। नेताजी मेरे लिखने का तात्पर्य है कि उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की राजनीति डूबती हुई नजर मुझे आ रही है। इतनी घटिया सोच इतनी घटिया राजनीतिक फैसलों पर चिंतन करने की आवश्यकता आन पड़ी है। राजभर समाज के शिक्षित युवाओं को क्योंकि लोकतंत्र में राजनीति में भागीदारी समाज की सुनिश्चित रहेगी वहीं समाज अग्रसर होगा।
असलम राजभर, राजभर समाज में पहले जब जातें थे तो उनका भाषण शुरू होता था मुर्गी चरे भरौटी में अंडा दे चमरौटी में,, मुलायम सिंह का बेटा (क) से कंप्यूटर पड़ेगा राजभर का बेटा ( क ) कबूतर पड़ेगा यह सब मैं अब नहीं चलने दूंगा। फिर मन से चिल्ला कर कहते थे, आजीवन में राष्ट्रपति से लेकर प्रधान तक कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा चाहे मेरी आने वाल औलाद नस्ल कोई चुनाव नहीं लड़ेगी ना मेरा खानदान लड़ेगा।
33 करोड़ देवी देवताओं को पूज कर काशी के धरती से आया हूं। अपनी मां की कसम खाते थे जो माँ इनको 9 महीने लेकर गर्भ में कितनी पीड़ा सहकर इनको पैदा किया उस बाप की कसम खाए जो इनको उंगली पकड़कर चलाया। इतनी बेवाक् भरी अंदाज में इतना बड़ा झूठा उच्चारण कसम बोलकर राजभर समाज के गांव-गांव में तालियां की गड़गड़ाहट बटोरी, राजभर समाज यह सोच रखा था कि जब या नेता चाहे इसका पूरा आला औलाद नस्ल खानदान कोई चुनाव नहीं लड़ेगा तो पार्टी का बड़ा रूप विस्तार होगा तो आने वाले वक्त में पूरा-पूरा राजभर समाज धान गेहूं बेच कर असलम राजभर को चंदा दिए हैं कि हमारा राजभर समाज युवा नौजवान कार्यकर्ता चुनाव लड़ कर राजनीति में भागीदारी करेंगे और देश प्रदेश पूर्वांचल और अपने समाज का नाम रोशन करेंगे, लेकिन इतनी बड़ी झूठ की गगरी लेकर यह चला था यह बनारस सें....
हजारों युवाओं का सपना चूर करते हुए मात्र बाप बेटा समधी तक ही पार्टी सीमित रह गई अभी गठबंधन नहीं रहेगा किसी राष्ट्रीय पार्टियों से यह व्यक्ति राजभर समाज के युवाओं को चुनाव लड़ा कर उनका खेती बारी तक बिकवा डालता है उसके बाद क्या हुआ आज कोई इस पर एक लाइन लिख सकता है और आज के राजनीतिक परिवेश में क्या चल रहा है।
यह चुनाव राजभर समाज का भविष्य तय करेगा कई राजभरों की राजनीतिक लुटिया डूब जाएगी और नेताजी असलम राजभर जी का अध्याय और युग का समापन हो जाएगा। राष्ट्रीय भारशिव क्षत्रिय महासंघ
राष्ट्रीय अध्यक्ष** कैलाश नाथ राय भरत वंशी