ऑनलाइन शिक्षण कहीं संक्रमण तो नहीं : नितिन कुमार धनवानी

मथुरा, पत्रकार जय कृष्णा पांडेय: जिले के प्रसिद्ध प्रधानाचार्य नितिन कुमार धनवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि 16 वर्ष के अथवा 16 वर्ष से कम विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कक्षाए आप में एक संक्रमण से कम नहीं नहीं गत वर्षों में देखा गया है कि हमारे देश का उज्जवल भविष्य अर्थात हमारे विद्यार्थी संक्रमण के कारण घर पर अध्ययनरत रहे हैं किंतु विद्यालय का वातावरण छात्र छात्राओं को ना मिलने के कारण उनका सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा जिस प्रकार मोबाइल पर छात्र छात्राएं कक्षाएं लेने का प्रयास कर रहे हैं यह सिर्फ औपचारिकता मात्र है विद्यालय के वातावरण एवं घर बैठे ऑनलाइन कक्षाओं के अध्ययन में बहुत बड़ा अंतर है।

देखने में आ रहा है कि घर पर छात्र-छात्राएं एकांत में यह कक्षा लेते हैं और लेखन तथा पठान दोनों से बालक बालिका वंचित हो रहे हैं एक ही स्थान पर बैठकर लगातार मोबाइल चलाना और उस पर कक्षाएं देखना उनके बौद्धिक और शारीरिक विकास में कहीं ना कहीं बाधक है।

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु विद्यार्थियों का प्राकृतिक परिवेश में वस्तुओं का ज्ञान एवं अनुभूति होना अति आवश्यक है  माता-पिता से अनुरोध है के घर पर बालक बालिकाओं के ऑनलाइन शिक्षण के साथ अन्य क्रियाकलापों में भी इनकी सहभागिता रखें। बच्चों से बातचीत करते रहे तथा इनके लेखन एवं पठान पर विशेष ध्यान दें।

मोबाइल पर एक बार क्लिक करने से विश्व भर की जानकारी हमारे समक्ष आ जाती है किंतु है जानकारी हमारे उम्र एवं तजुर्बे के अनुपात में कितनी लाभदायक है वह हम पर निर्भर करता है वास्तव में जीवन इतना आसान नहीं कि वह एक क्लिक पर चलने लगे तथा वह होने लगे जो हम चाहते हैं जीवन का वास्तविक अनुभव जीवन की चुनौतियां एवं  जीवन के उतार-चढ़ाव से ही होता है इसलिए  अभिभावकों को समझना चाहिए और उन्हें अपने बच्चों के साथ विशेष प्रकार की वार्ता जोकि उनके विकास एवं विशेष उपलब्धियों में कारगर हो करनी चाहिए।

विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास अति आवश्यक है और इस कार्य को शिक्षक शिक्षिकाएं एवं माता-पिता के अलावा कोई नहीं कर सकता कृपया ऑनलाइन कक्षाओं को संक्रमण  ना बनने दे तथा इसे ज्ञान प्राप्त करने हेतु एक उपलब्धि मात्र समझे जो मोबाइल के माध्यम से पूर्ण हो सकती है।

अभिभावक गण विद्यार्थियों में सृजनात्मकता का विकास करें बच्चों को नई-नई विषय वस्तु के बारे में जानकारी दें अपने जीवन के संघर्ष के बारे में अवश्य बताएं तथा प्राचीन एवं नवीन जीवन शैली के तुलनात्मक भाव को अपने बच्चों से साझा करें बच्चों को अनुभव कराएं की जीवन मोबाइल चलाने जितना आसान नहीं होता बच्चों का रुझान आध्यात्म की ओर भी करें!

तब तक विद्यालय पूर्ण रूप से नहीं खुल पा रहे हैं तब तक दिन में कम से कम 1 से 2 घंटे का समय अपने बच्चों के साथ अवश्य बताएं शिक्षण संबंधी क्रियाकलाप और लेखन पठन आदि पर विशेष ध्यान दें।