हाईकोर्ट ने माना कि पीड़ित को मिली तारीख़ पर तारीख़, नहीं मिला न्याय…

जिला जालोर राजस्थान, लक्ष्मण भारती:

गौरतलब है कि जज श्रीमती गरिमा सौदा ने पाली जिले के निहायत ही गरीब व निर्दोष व्यक्ति को पुलिस के कहने पर जेल भेजा और “अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य” वाले सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले की अवमानना की…

उसके पश्चात 156(3) CrPC के परिवाद पर अनगिनत तारीख़ें दी गई लेकिन परिवाद निर्णीत नहीं किया, पीड़ित के परिवाद पर लगभग 3 साल तक 44 तारीख़ें दी गई लेकिन FIR तो पुलिस ने फिर भी दर्ज नहीं की जबकि 26वीं तारीख़ पर किसी अन्य जज ने FIR दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए थे…

सम्पूर्ण मामले में चीफ़ जस्टिस के आदेश से जज श्रीमती गरिमा सौदा के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय की विजीलेंस शाखा में मुकदमा संख्या 305/2019 दर्ज हुआ था...

जिससे आहत होकर जज साहिबा ने पीड़ित के वकील, एडवोकेट गोवर्धन सिंह के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष आपराधिक अवमानना का मुकदमा संख्या CrlCP 01/2020 दर्ज कराया जिसको हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस श्री अकील कुरेशी एवं जस्टिस रेखा बोराणा ने शुरुआती तौर पर ही खारिज कर दिया…

मेरा व्यक्तिगत मानना है कि अगर अन्याय करने वाला यह सोचता है कि उसे कोई देख नहीं रहा है तो यह उसकी ग़लतफ़हमी होती है क्योंकि ईश्वर सबको देख रहा होता है और उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती है…

यह बात सभी जागरूक नागरिकों(मालिकों) तक पहुँचे तभी बड़ा बदलाव आ पयेगा