उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक्ट जौनपुर, अनिल कुमार: इतिहास के पन्नों को अगर खंगाला जाये तो क्रान्ति को ऊंची और सफल उड़ान देने में क्रान्तिकारी सोच, गरम खून और उबाल मारते जुनून का अहम योगदान रहा है। दुनिया भर में हो चुकी क्रान्तियां, संघर्ष, जंग-ए-आजादी और लोकतांत्रिक लड़ाइयां चाहे वो अमेरिका, फ्रांस और रूस की क्रान्ति रही हो या हिन्दुस्तान जैसे मुल्क को आजाद कराने की जद्दोजहद या आये दिन लोकतंत्र को जिन्दा रखने की कसमकस, सब कुछ इसी खून और पसीने की पैदावार और जिन्दाबाद दस्तख़त है। लेकिन अगर कोई शख्स अपनी जवानी और युवा जोश सामाजिक संरचना और राजनैतिक संघर्ष में गुजारते हुए औरों को आगे बढ़ाता चला गया हो और बावजूद इसके उसे उसका तार्किक और निष्पक्ष मूल्यांकन के तहत नतीजा न मिला हो तो उसके संघर्ष और क्रान्ति को कमतर कतई नहीं आंका जा सकता है। जी हां प्रतापगढ़ की ऐतिहासिक सरज़मीन की क्रान्तिकारी पैदावार जिसने अपनी पूरी उमर सामाजिक और राजनैतिक गतिविधियों को जारी रखते हुए एक पार्टी विशेष और संगठन को सुपुर्द कर दी हो तो उसकी बात न सिर्फ़ रखना लाज़िमी हो जाता है बल्कि उसकी इबारत और इमारत को साझा करना, पढ़ना और सुनना सामाजिक एकता, अखंडता और निरंतरता के लिए बेहद जरुरी हो जाता है। यहाँ बात हो रही है "अपना दल - एस" के प्रतिबिंब व पर्याय और राष्ट्रीय महासचिव व "उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" के सदस्य "गड़रिया कौम" की अस्मिता "श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल" जो 250 - रानीगंज विधान सभा से "अपना दल (एस)" के भावी विधायक प्रत्याशी भी हैं का ज़िक्र हो रहा है।
किसी की कलम ने भी खूब कहा है कि, "बुलावे नहीं भेजे जाते जंग-ए-स्वाभिमान में...लोग खुद-ब-खुद चले आते हैं युद्ध के मैदान में....। अगर इस परिवेश को जीना हो और महसूस करना हो आपको कहीं दूर जाने की कतई जरूरत नहीं है। आप सूबे के प्रतापगढ़ तशरीफ़ ले आये। गंगा तट पर बसे इस खूबसूरत शहर में कभी घोड़ों की टापों के बीच राजे महराजे हुआ करते थे आज उसी सरज़मीन पर "श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल" का रुतबा रिहायश के बीच कायम है। इतनी क्रान्तियों और संघर्षों की दास्तान जहां लोगों में पली बढ़ी हो फिर वहाँ की मिट्टी का रंग और खुशबू अलहदा किस्म की होगी और लोग जरूर कुछ अलग। इस बात का जयका आपको एक छोटी मुलाकात में भी मुकम्मल तौर पर एक खूबसूरत मुजस्समा "श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल" की सादगी और क्रान्तिकारी विचारों से महसूस किया जा सकता है। मिलिये और बैठिये। 26 बरस पहले 4 नवंबर 1995 में "डाक्टर सोनेलाल पटेल" की अध्यक्षता में अपना दल के संस्थापक सदस्य "श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल" सबसे पहले अपना दल ब्लाक कमेटी के सदस्य बनाये गये और 1996 में ही बीरापुर (अब रानीगंज) विधान सभा से चुनाव लड़ा और तकरीबन 14000 वोट हासिल किया। 2014 और 2018 में अपना दल के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रह चुके श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल मौजूदा वक्त में अपना दल - एस के राष्ट्रीय महासचिव हैं हालांकि 2017 में भी राष्ट्रीय महासचिव रह चुके श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल 2018 से "उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" के "सदस्य" भी हैं जो "राज्य मंत्री" के समकक्ष होता है।
राजनैतिक सेवा के साथ ही साथ सामाजिक गतिविधियों के जरिये अपने क्षेत्र में एक पहचान बन चुके "श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल" क्षेत्रवासियों के सुख दुःख के सच्चे सिपाही की तरह समाज सेवा करते हुए उत्तर प्रदेश में "गड़रिया समाज" के एक गहरे और गाढ़े दस्तख़त की तरह खुद को निखारते हुए आगे बढ़ रहे हैं। पेशेवर वकील और शिक्षक के तौर पर खुद को स्थापित कर चुके "श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल" ने साल 2005 में "मां अभिराजी जगदीश पाल मेमोरियल इंटर कालेज" की स्थापना शाहपुर, रानीगंज में की जो आज तालीम हासिल करने का गढ़ माना जाता है।
सामाजिक और राजनैतिक सेवा की भावना और "अपना दल (एस)" में बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए "अपना दल (एस)" की राष्ट्रीय अध्यक्षा "श्रीमती अनुप्रिया पटेल" ने फ़रवरी में होने जा रहे आगामी विधान सभा चुनाव में 250 - रानीगंज से टिकट देने का लगभग मन बनाया है जो कि निहायत काबिले-गौर है। पिछड़े वर्ग के सिपाही, लोकतंत्र के चौकीदार और सामाजिक व राजनैतिक अधिकारों की निगहबानी करने वाले प्रहरी और "गड़रिया कौम" की अस्मिता व अति पिछड़े, शोषितों व बंचितों मसीहा और जंग का पर्याय "श्री राजेन्द्र प्रसाद पाल" के उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएँ इस उम्मीद में कि खुदा उन्हें वो बुलंदी अता करे कि गड़रिया समाज के सामाजिक और राजनैतिक तानेबाने को एकजुटता का पंख लग सके और हमें हमारे खोये हुए सामाजिक और राजनैतिक अधिकार हासिल हो सके - शेफर्ड उमा शंकर पाल, प्रखर चिंतक - गड़रिया /धनगर समाज, उत्तर प्रदेश