सिटी- मुंबई, राज्य -महाराष्ट्रनजीर मुलाणी : वसई :चुळणे गाव में पोलीस प्रताडना से पीडित एक युवक ने मदत की गुहार लगाई तो स्वप्नील डिकुन्हा प्रकरण की हकीकत समझने के लिए पोलीस स्टेशन गये थे। वहा उन्हाेने देखा की युवक को संबंधित पोलीस अधिकारी ने ठाणे अंमलदार कक्ष के बगल के कँबिन में बिठा के रखा था तो उपस्थित अधिकारी से प्रकरण का हकीकत समझने के लिए प्रश्न किया तो संबंधित अधिकारी ने जवाब नहीं दिया और स्वप्नील से उसकी पहचान पुछा, उन्होने अपनी पहचान बताई और संबंधित पोलीस अधिकारी से उसकी पहचान पुछे बस फिर क्या था अधिकारी का पारा गरम हो गया और देखने पर पता चला की संबंधित अधिकारी ने अपने नाम और पद की पाटी वर्दी पर नहीं लगाई थी।
स्वप्नील ने अपना मोबाईल कॅमरा सुरू किया और संबंधित अधिकारी से सभ्य भाषा में पुछा की आपका नाम क्या है? और आपकी नेम प्लेट कहां है? बस इस बात से क्रोधीत अधिकारी ने अपने अधिकारो का दुरुपयोग करते हुए भारतीय दंड संहिता कलम 353 का दुरुपयोग करते हुए अपराध दर्ज (गुन्हा रजि. नं. 09/2022) कर लिया।
जैसे ही स्वप्नील को समझ आया की पोलीस ने अपराध दर्ज किया है वो आत्मसमर्पण करने के लिए पोलीस स्टेशन गये उन्हे वहाँ उपस्थित पोलीस अधिकारियो ने अरेस्ट नहीं किया और नोटीस देकर जवाब दाखल करने के लिए कहां और स्वप्नील ने अपना जवाब लिखित में दिया उसके बाद भी पोलीस संबंधित तपास अधिकारी ने स्वप्नील पर स्टेटमेंट दाखल करने के लिए दबाव बना रहे थे ईसलीए स्वप्नील जवाब लिखाने उनके साथ गया उस कमरे में कॅमरा नहीं लगा था और अधिकारी स्वप्नील पर संबंधित पोलीस अधिकारी द्वारा लिखाये गये सुधारित जवाब पर साइन करने का दबाव बनाने लगे, इस अत्याचार के विरोध में स्वप्नील डिकुन्हा ने तात्काळ निर्णय लेते हुए आमरण उपोषण आंदोलन सुरू किया.अब तक 3बज चुके हैं कोई भी फैसला नहीं हुआ जब तक कोर्ट में हाजिर नहीं करेंगे तब तक पुलिस स्टेशन बाहर आमरण उपोषण जारी रहेगा इस तरह से मनसे के स्वप्निल डिकुन्हा अपने मुद्दे पर ठाम रहेंगे।