हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः सिरसा लोकसभा क्षेत्र से सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा है कि यदि हम सच्चे मन से संस्कृति के संवाहक हैं और आज के समय में संस्कारयुक्त वातावरण बरकरार रखना चाहते हैं तो हमें संस्कृत का संवर्धन और संरक्षण करना होगा। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार इस कार्य में लगातार जुटी हुई है। श्री कृष्ण प्रणामी बाल सेवा आश्रम कैमरी में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित भाषा प्रबोधनवर्ग के समापन पर वे मुख्यातिथि के तौर पर वर्गार्थियों को सम्बोधित कर रही थी। अध्यक्षता आश्रम संचालक स्वामी राजदास जी महाराज ने की। सारस्वत अतिथि के तौर पर शिक्षा बोर्ड चेयरमैन डॉ.जगबीर सिंह और विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिसार नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर अनिल मानी उपस्थित रहे।
सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार संस्कृति और संस्कार को आगे बढाने में लगी हुई है। संस्कृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही है। संस्कृत गुरुकुलों को विशेष ग्रांट प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि हर भाषा में मिलावट हो सकती है। पर संस्कृत पूर्ण रूप से विशुद्ध भाषा है। अंग्रेजी बोलने से विद्वता नहीं साबित होती है परंतु संस्कृत बोलने से विद्वता स्वतः प्रमाणित हो जाती है। उन्होंने संस्कृत भारती को विश्वास दिलाया कि संस्कृत की अनिवार्यता विषय पर वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगी।
शिक्षा बोर्ड चैयरमेन डॉ. जगबीर सिंह ने कहा कि लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति ने संस्कृत और संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया। दूसरे देशों ने जितने भी आविष्कारों को अपना नाम दिया है, वे हमारे संस्कृत के प्राचीन ग्रन्थों में पहले से ही निहित है। अंग्रेजों ने जानबूझकर संस्कृत को समाप्त कराया। उन्हें पता था कि संस्कृत उनके उद्देश्यों को सफल नहीं होने देगी। उन्होंने बताया कि शिक्षा बोर्ड ने 44 गुरुकुलों को मान्यता प्रदान की है। आप संस्कारयुक्त शिक्षा देने वाले गुरुकलों की संख्या को बढ़ाएं, शिक्षा बोर्ड उन्हें मान्यता प्रदान करने का काम करेगा।
प्रांत अध्यक्ष डॉ. रामनिवास शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कक्षा तीसरी से बाहरवीं तक संस्कृत की अनिवार्यता की पहल में शिक्षा बोर्ड के प्रयास सराहनीय है। हमारे पास संस्कृत का पूर्ण पाठ्यक्रम और किताबें तैयार है। उन्होंने संस्कृत भारती की क्रियात्मक गतिविधियों से भी पूर्ण रूप से परिचित कराया।
अध्यक्षता कर रहे स्वामी राजदास जी महाराज ने संस्कृत भारती के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने के अभियान में संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए समाज के सभी लोगों को आगे आना होगा। कार्यक्रम में संस्कृत भारती के प्रांत मंत्री डॉ.जोगेंद्र कुमार,शिक्षण प्रमुख डॉ. दिनेश शास्त्री, वर्ग शिक्षण प्रमुख सतेंद्र कुमार, विभाग संयोजक डॉ. सुरेश कुमार, व्यवस्था प्रमुख डॉ. शैलेंद्र सिंह, प्रचार प्रमुख सुशील शास्त्री, नितेश शर्मा आदि मौजूद रहे। भारत माता के पूजन के बाद वर्ग समाप्ति की घोषणा की गई। इससे पूर्व वर्गार्थियों को दायित्व भी प्रदान किये गए।