" 22 साल बाद धोखादारी के आरोप में हुई जेल "

कोलकातासंजय साहा :  22 साल से कानून और पुलिस को चकमा देकर अपने आप को बचाने के लिए लड़ रहे थे एक बहुत ही चालाक धोखेबाज। पर आखिर में कामेयाब नहीं हुए। 1999 साल में एक राष्ट्रीय बैंक से 12 लाख 21 हाजार रुपए गायब कि कांड में आरोपी उसी बैंक के कर्मचारी दिनेश दत्त को इतने दिनों बाद 10 साल कि सज़ा सुनाई गई। पीछले मंगलवार बैंकशाल कोर्ट के स्पेशल जज कुमकुम सिंह ने वह आरोपी बैंककर्मी को जनता के रुपए जालसाजी के आरोप में कई धाराओं में दोषी करार देते हुए यह फैसला सुनाया। जुर्म के समय पीएनबी बैंक के लायन्स रेंज शाखा में क्लियरिंग विभाग के कर्मी थे। इतने दिनों से मुकद्दमा पीछे ले जाने कि कोशिश कर रहे थे वह  आरोपी, जो कि उस समय युवा थे और अभी 65 साल कि वृद्ध। उसके इतने कोशिश के बावजूद पुलिस ने हाल नहीं छोड़ी। जज ने उस समय लालवाजार के युवा ऑफिसर सौम्य बंदोपाध्याय कि भूमिका कि भी प्रसंशा किया है। सौम्य बाबू जो कि अभी गरियाहाट थाना के ओसी है, कहा," वह समय था मोबाईल से पहले कि जमाना। यह धोखेबाज ने हमलोगों को बहुत इधर उधर भटकाया। एकबार उसे पकड़े भी थे, पर किसी तरह से वह जमानत पर निकल गया था। बहुत अच्छा लग रहा है कि अपराधी को आखिर में सजा मिली "। गणेश दास नाम से एक फर्जी एकाउंट खोल कर वहां पर अपने बड़े भाई कि फोटो लगाया था दिनेश ने। रुपए गायब कि कई कागजाद भी नष्ट कर दिया था वह। विशेष सरकारी वकील तरुण चट्टोपाध्याय ने कहा कि, " दिनेश ठंडे दिमाग से अदालत को गुमराह करने कि कोशिश करके इतनी समय लगा दिया। अब इस उमर में आकर उसे अपनी गुनाह का फल भोगना होगा "।