छापे मारकर कर्मचारियों पर कार्यवाही करने वाले कैबिनेट मंत्री हिसार रोडवेज डिपो पर भी ध्यान दें : राजपाल नैन

 हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः रोडवेज महाप्रबंधक के तानाशाही रवैये एवं कर्मचारियों से मुख्यालय के आदेशानुसार ड्यूटी न लिए जाने के विरोधस्वरूप 3 जनवरी को रोडवेज तालमेल कमेटी की ओर से किये जाने वाले महाप्रबंधक के घेराव या चक्का जाम की तैयारियां जोरों पर है। तालमेल कमेटी नेताओं ने रविवार को कर्मचारियों से संपर्क किया और दावा किया कि घेराव या चक्का जाम ऐतिहासिक होगा।

तालमेल कमेटी के सदस्य राजबीर दुहन, सूरजमल पाबड़ा, अनूप सातरोड, अरूण शर्मा व राजकुमार चौहान ने बताया कि जीएम के घेराव या उनके कार्यालय में उपस्थित न होने पर किये जाने वाले डिपो के चक्का जाम के प्रति कर्मचारियों में उत्साह है। उन्होंने कहा कि एक तो रोडवेज प्रशासन तानाशाही बरत रहा है, कर्मचारियों की सुनवाई नहीं हो रही और कर्मचारियों से मुख्यालय आदेशानुसार ड्यूटी नहीं ली जा रही वहीं खुद महाप्रबंधक सेवा नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। तालमेल कमेटी नेताओं ने राज्य के नवनियुक्त कैबिनेट मंत्री डा. कमल गुप्ता द्वारा कार्यालयों में छापा मारने व ग्रुप सी व डी के कर्मचारियों को अनुपस्थित दिखाने, उनका वेतन काटने की कार्यवाही पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हिसार के रोडवेज महाप्रबंधक कभी भी दो बजे से पहले कार्यालय में नहीं आते तो क्या उन्हें  सरकार की तरफ से विशेष छूट दी गई है। यदि महाप्रबंधक समय पर कार्यालय आए और कर्मचारियों की सुनवाई करते तो कर्मचारियों को धरने, प्रदर्शन, घेराव या चक्का जाम करने की नौबत नहीं आए लेकिन डिपो में बना अव्यवस्थित माहौल केवल महाप्रबंधक की देन है। उन्होंने कहा कि तालमेल कमेटी ने सदैव बातचीत से मांगों व समस्याओं के समाधान को प्राथमिकता दी है और तालमेल कमेटी किसी तरह का टकराव नहीं चाहती लेकिन 3 जनवरी का घेराव या चक्का जाम महाप्रबंधक की देन है। इस दौरान होने वाले किसी भी नुकसान के लिए महाप्रबंधक जिम्मेवार होंगे।

रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश प्रभारी राजपाल नैन ने कहा कि सरकार के सेवा नियम हर कर्मचारी व अधिकारी के लिए बराबर होने चाहिए। जब मामूली गलती पर कर्मचारियों को निलंबित या बर्खास्त किया जा सकता है या उनका वेतन काटा जा सकता है तो अधिकारियों को छूट क्यों। उन्होंने कहा कि रोडवेज कर्मचारी यूनियन व सहयोगी यूनियनों ने तालमेल कमेटी बनाकर कर्मचारियों की मांगों व समस्याओं का मांगपत्र जीएम को दिया, दो बार बातचीत हुई, दोनों बार सहमति बनी और जीएम ने सहमत मांगे लागू करने के लिए समय मांगा लेकिन न जाने पर उन पर ऐसा कौन सा दबाव है, जिसके चलते वे सहमत हुई मांगे लागू नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि 3 जनवरी को जीएम के घेराव या उनके उपस्थित न होने पर चक्का जाम की तैयारियों जोरों पर चल रही है और कर्मचारियों की एकजुटता दिखा देगी कि कर्मचारी विरोधी व तानाशाही रवैया अपनाने का क्या नतीजा होता है।