राजस्थान, चन्द्रप्रकाश भावसार: तृतीय फोर्ट फेस्टिवल का शुक्रवार को आगाज़ हो गया. गोराबादल स्टेडियम में सुबह उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ, यहाँ से भव्य शोभायात्रा निकली जो विभिन्न मार्गों से होते हुए फ़तेहप्रकाश संग्रहालय पहुंची. संग्रहालय में पतंगबाज़ी, हॉर्स शो, रंगोली प्रतियोगिता, साफा और साडी प्रतियोगिता, लेमन रेस सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. कुछ इसी तरह फोर्ट फेस्टिवल को लेकर चित्तौड़गढ़ में उत्साह देखा गया.
गोरा बादल स्टेडियम में आज सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना के मुख्य आतिथ्य में उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ. यहाँ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत, नगरपरिषद चेयरमेन संदीप शर्मा, जिला कलक्टर के के शर्मा, एसपी दीपक भार्गव, एडीएम रतन कुमार, एडीएम अम्बालाल मीणा, उपखंड अधिकारी श्यामसुन्दर विश्नोई, चित्तौड़गढ़ प्रधान देवेन्द्र कंवर भाटी, कपासन प्रधान भैरूलाल चौधरी, पर्यटन अधिकारी शरद व्यास, उद्योग केंद्र महाप्रबंधक राहुलदेव सिंह, गाँधी दर्शन समिति जिला संयोजक दिलीप नेवनानी सहित अन्य कई जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी मंच पर मौजूद रहे. तो वहीँ शहर से भी लोग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गोरा बादल स्टेडियम में जुटे और उद्घाटन समारोह के गवाह बने।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की वंदना से की गई. छात्राओं ने सरस्वती माँ की वंदना में शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद अन्य राजस्थानी गीतों पर प्रस्तुतियां दी गई. इसके पश्चात मंत्री उदयलाल आंजना ने कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए उनका फोर्ट फेस्टिवल में स्वागत किया और फोर्ट फेस्टिवल की निरन्तरता बनाए रखने के लिए प्रशासन को भी साधुवाद दिया. इसके बाद जिला कलक्टर के के शर्मा ने उद्भोदन दिया और आमजन का कार्यक्रम में स्वागत किया. मंत्री उदयलाल अंजना ने कार्यक्रम की घोषणा मशाल जला कर और घोषणा पढ़ कर ली और फिर यहीं से शोभायात्रा का भी आगाज़ हो गया.
शोभायात्रा भी अपने कई मायनों में ख़ास रही. इसमें चांदी के छत्र लेकर कलाकार आगे चल रहे थे, उनके पीछे महावत हाथी लेकर चल रहा था, फिर घोड़े, बेंड, महाराणाओं की वेश.भूषा में कलाकार (बापा रावल से उदय सिंह तक), सैनिक की वेशभूषा में कलाकार, सिर पर कलश लिए हुए महिलाएं आदि चलते रहे. इनके बीच-बीच में विभिन्न प्रस्तुतियां देते हुए कलाकार दिखाई दिए. इसमें कालबलिया नृत्य, लाल गैर नृत्य, चकरी नृत्य, तेरहताली नृत्य, भपंग नृत्य, गवरी नृत्य, पंजाबी नृत्य, कश्मीरी नृत्य और सहरिया जनजाति का नृत्य बेहद ख़ास रहा जिसे देख हर कोई उत्साहित हो गया। इसमें बृज की होली की झलक दिखाई दी तो वहीँ बहरूपियों को देख भी लोगों ने मनोरंजन किया। इनके साथ.साथ विभिन्न झांकियां चलती रहीं, जिनमें विजय स्तम्भ की झांकी, गाडिया लोहार समाज की झांकी, दांडी मार्च की झांकी आदि प्रमुख रहीं. इन सभी के बीच-बीच में जगह.जगह लोक कलाकार मौजूद रहेंगे जो प्रस्तुतियां दे रहे थे. यह शोभायात्रा गोरा बादल स्टेडियम से शुरू हुईए फिर गोल प्याऊ, सुभाष चौक, नेहरु बाज़ार, किला रोड से होकर फ़तेह प्रकाश संग्रहालय पहुची और यहीं इसका समापन हो गया।