राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर किया गया कार्य ही सच्ची देशभक्ति : विजय

हिसार, राजेन्द्र अग्रवालः राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर किया गया कार्य ही सच्ची देशभक्ति है। इसलिए उपलब्ध संसाधनों का संरक्षण कर आने वाली पीढिय़ों के लिए बचाना भी अपने आप में देशभक्ति है। ये विचार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक विजय ने व्यक्त किए। वेे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर के समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की के लिए युवाओं का आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज देश के कोने-कोने से आए स्वयंसेवकों के बीच आकर कश्मीर से कन्याकुमारी व गुवहाटी से चौपाटी तक लघु भारत के दर्शन हुए जो अपने आप में देश की एकता व अखण्डता को मजबूत करने की दिशा में बहुत ही सराहनीय कदम है। हमें क्षेत्रवाद को खत्म करते हुए क्षेत्रीय भावनाओं की कद्र करनी होगी और आपस में मिलकर देश को आगे बढ़ाने को लेकर कार्य करना होगा। इसके लिए देश के कोने-कोने से आए स्वयंसेवक इस राष्ट्रीय एकता शिविर के थीम आत्मनिर्भर भारत को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे। इसलिए अगर हमारे अंदर देश सर्वोपरि की भावना होगी तभी देश का उत्थान संभव है।

स्वयंसेवक जन-जन तक पहुंचाएं समाजसेवा की भावना : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि इस शिविर में हासिल ज्ञान, अनुशासन, व्यक्तित्व विकास, समाजसेवा जैसे गुणों को स्वयंसेवक जन-जन तक पहुंचाएं। इसके लिए एकजुट होकर एक भारत, श्रेष्ठ व आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को धारण करें और उसी दिशा में व्यवहारिक रूप से काम करें। हम भाषा, रूप, वेशभूषा, रहन-सहन, आदि को लेकर अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन सबसे पहले हम भारतीय हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के मोटो मैं नहीं, आप को आत्मसात करते हुए समाज में नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता लिए हुए इस कार्यक्रम को सफल बनाया , इसके लिए सभी आयोजक व स्वयंसेवक बधाई के पात्र हैं। इस अवसर पर सभी प्रदेशों के स्वयंसेवकों व कार्यक्रम अधिकारियों को सहभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।

15 राज्यों व प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों के स्वयंसेवकों ने लिया हिस्सा

इस शिविर में देश के 15 राज्यों जिनमें कर्नाटक, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, असम, नागालैंड, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू, कश्मीर, मणिपुर, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ सहित हरियाणा के दस विश्वविद्यालयों के स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा विभिन्न राज्यों के 10 कार्यक्रम अधिकारियों ने इस शिविर में हिस्सा लिया। स्वयंसेवकों ने अपने इस सात दिवसीय शिविर में हासिल हुए अनुभवों को भी मुख्यातिथि से साझा किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.के. महत्ता, ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. रामनिवास ढांडा, छात्र कल्याण निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह दहिया, सहायक छात्र कल्याण निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा व डॉ. अनिल ढाका, शिविर समन्वयक डॉ. चंद्रशेखर डागर, डॉ. भगतसिंह सहित सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, विभिन्न प्रदेशों से आए स्वयंसेवक मौजूद रहे।