हिसार, राजेन्द्र अग्रवाल: शिक्षकों की एक के बाद एक कई भर्तियां रद्द करने के बाद अब शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 32 डीपीई को बड़ा झटका दिया है। ये शिक्षक जेबीटी से पदोन्नत होकर डीपीई बने थे, लेकिन अब विभाग ने सुखविंद्र बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा के केस का हवाला देते हुए इन सभी को डिमोट कर दोबारा मूल पद पर भेजने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर जहां प्रभावित शिक्षकों में जबरदस्त रोष है, वहीं शिक्षकों ने इस डिमोशन के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।
बॉक्स- हिसार व भिवानी के सर्वाधिक शिक्षक होंगे प्रभावित
विभाग के इस आदेश का सर्वाधिक प्रभाव हिसार जिले पर पड़ेगा, क्योंकि प्रभावित 32 शिक्षकों में सर्वाधिक 16 शिक्षक अकेले हिसार जिले के विभिन्न स्कूलों में बतौर डीपीई अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं भिवानी के दस शिक्षक, जींद व सोनीपत के दो दो शिक्षकों तथा चरखी दादरी व करनाल के एक-एक शिक्षक को डिमोट करने के निर्देश दिए गए हैं।
बॉक्स- क्या कहता है हाई कोर्ट का फैसला
विभाग ने कोर्ट के जिस आदेश का हवाला देकर इन शिक्षकों को पदावन्नत करने के निर्देश दिए हैं, वह हकीकत में इन शिक्षकों पर लागू ही नहीं होता। कोर्ट का वह आदेश कहता है कि जिस दिन पद निकलते हैं, उस पर नए रूल लागू होंगे, जबकि जब इन शिक्षकों की पदोन्नति की गई थी तो वे खाली पोस्ट थी, जिन्हें बैकलॉग के आधार पर पदोन्नति से भरा गया है, जिस पर नए रूल लागू नहीं होते, क्योंकि ये पुराने पद है। अगर नई रिक्तियां होती तो ये रूल लागू हो सकते थे, लेकिन उक्त पद रूल लागू होने से पहले के थे।
बॉक्स- क्या कहते हैं कानूनविद्द
वरिष्ठ एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल बताते हैं कि संवैधानिक तौर पर अगर कोई नए कानून भी बनते हैं तो वह पुराने आदेशों पर लागू नहीं होते और आगामी फैसलों को ही प्रभावित करते हैं। इस मामले में भी कोर्ट के आदेश का हवाला निदेशक ने अपने पत्र में दिया है वह नई भर्तियों पर लागू होते हैं, न की पुराने रिक्त पदों पर। इस हिसाब से शिक्षकों का यह डिमोशन पूरी तरह से असंवैधानिक है, जिसे कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है। बिना किसी कानूनी राय के भाजपा सरकार कर्मचारियों पर लगातार बार-बार इस तरह के प्रहार कर ही है जो कि बहुत निंदनीय है।
शिक्षकों का दावा, उनकी पदोन्नति पर लागू नहीं होता उक्त आदेश
विभाग के इस फैसले पर प्रभावित शिक्षकों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। डीपीई संजय शर्मा, कृष्णा देवी सहित अन्य शिक्षकों ने दावा किया है कि उनकी पदोन्नति बैकलाग के खाली पदों पर हुई थी। ऐसे में सरकार केवल शिक्षकों को परेशान करने के लिए इस तरह के ओछे हथकंडे अपना रही है, जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा और विभाग के आदेशों के खिलाफ माननीय हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।