
मार्च 2025 में राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत सभी फेडरल एजेंसियों से DEI कार्यक्रमों को तुरंत समाप्त करने को कहा गया। इस आदेश का असर नासा सहित कई एजेंसियों पर पड़ा।
नासा ने राजेन्द्र को बनाए रखने का प्रयास किया और उनका पदनाम बदलकर “Chief of Team Excellence and Employee Success” कर दिया, ताकि वे अपनी सेवाएं जारी रख सकें। लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा और अंततः उन्हें पद से हटा दिया गया।
अब JPL की वेबसाइट पर उनके नाम से जुड़ा पेज दिखाता है:
“404 Page Not Found”,
जो यह दर्शाता है कि उन्हें पूरी तरह से हटा दिया गया है।
नील राजेन्द्र एक भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं, जिनकी शिक्षा और कार्यक्षेत्र विविधता और नेतृत्व पर केंद्रित रहा है। उन्होंने कई संस्थानों में संक्षिप्त समय तक कार्य किया और फिर Claremont McKenna College के Kravis Leadership Institute में Director of Entrepreneurial Initiatives के रूप में लगभग चार साल तक कार्य किया।
इसके बाद उन्होंने Science of Diversity and Inclusion Initiative (SODI) की सह-स्थापना की, जहां उन्होंने लगभग आठ वर्षों तक कार्य किया।
2021 में नील राजेन्द्र ने नासा के Chief DEI Officer के रूप में कार्यभार संभाला। उनके नेतृत्व में “Space Workforce 2030” जैसी पहल की गई, जिसका उद्देश्य था:
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महिलाओं और विविध पृष्ठभूमियों से आने वाले लोगों की अंतरिक्ष क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाना।
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एक समावेशी और समान कार्य संस्कृति को बढ़ावा देना।
उनके इस प्रयास को JPL की निदेशक लॉरी लेशिन ने भी समर्थन दिया था और नए पदनाम को JPL के भविष्य के लिए “अहम कदम” बताया था।
ट्रंप प्रशासन द्वारा DEI कार्यक्रमों पर अंकुश लगाने का निर्णय अमेरिकी राजनीति में विवादास्पद मुद्दा बन चुका है। आलोचकों का कहना है कि यह निर्णय संवेदनशीलता, समावेशिता और सामाजिक न्याय के लिए उठाए गए वर्षों के प्रयासों को पीछे धकेल रहा है। नील राजेन्द्र जैसे अधिकारी, जिन्होंने वर्षों तक समावेशी कार्यस्थल संस्कृति को विकसित करने में योगदान दिया, उनके हटाए जाने को कई विशेषज्ञों ने राजनीतिक फैसला करार दिया है।