स्वातंत्र्यवीर सावरकर: एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संपूर्ण संस्था!

रिपोर्टर नजीर मुलाणी मुंबई विश्वविद्यालय के परिसर में आज एक ऐसा दिन था, जिसने इतिहास को अपने नाम कर लिया। राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन की अध्यक्षता और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में ‘स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर अध्ययन एवं शोध केंद्र’ का उद्घाटन समारोह धूमधाम से हुआ। अब इस केंद्र के माध्यम से सावरकर के विचारों, कार्यों और क्रांतिकारी भावना को विद्वानों के लिए नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जाएगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने भाषण में कहा सावरकर सिर्फ एक नाम नहीं हैं, वे एक विचार हैं, एक संस्था हैं, एक अखंड ज्योति हैं। बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने ‘स्वतंत्रता मेरा लक्ष्य है’ की शपथ ली और क्रांति के सागर में कूद पड़े।” अभिनव भारत, लंदन में इंडिया हाउस, जोसेफ मैजिनी की आत्मकथा, ये सिर्फ जगहें और किताबें नहीं थीं, बल्कि ये क्रांति की प्रयोगशालाएं थीं, जिनमें सावरकर ने देशभक्ति की आग जलाई। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से युवाओं के मन में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित की। यही कारण है कि ब्रिटिश शासकों को सावरकर को ‘सबसे खतरनाक क्रांतिकारी’ कहना पड़ा। 1857 के विद्रोह को ‘भारतीय स्वतंत्रता के लिए प्रथम संघर्ष’ के रूप में नया आयाम देकर सावरकर ने अंग्रेजों द्वारा झूठे लिखे गए इतिहास को देशवासियों के सामने नए सिरे से प्रस्तुत किया। और अंडमान की अंधेरी कोठरी में, दोहरे आजीवन कारावास की छाया में, उन्होंने जो गीत ‘अनाड़ी में, अनंत में’ लिखा, वह आज भी देशभक्ति की अमर प्रेरणा के रूप में खड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “सावरकर को सिर्फ जेल में डाल देना ही काफी नहीं था, क्योंकि उनके विचारों को बांधना संभव नहीं था। यह उनके आत्मविश्वास का ही नतीजा था कि उन्होंने 11 साल की अंधेरी कोठरी के अंधेरे को रोशन कर दिया।” सावरकर सामाजिक क्रांति के भी अग्रदूत थे। उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर के साथ महाड में चावदार तलैया के संघर्ष को देखा और सामाजिक समानता का इतिहास रचा। मराठी भाषा को नए शब्द देकर समृद्ध करने वाली सावरकर की साहित्यिक सेवा भी अमूल्य है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि इस शोध केंद्र को धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। साथ ही, राज्य सरकार इंग्लैंड की संस्थाओं से संपर्क करके सावरकर की बैरिस्टर की डिग्री को मरणोपरांत बहाल करेगी, जिसे अंग्रेजों ने गलत तरीके से छीन लिया था। उद्घाटन समारोह में मंत्री चंद्रकांत पाटिल, अधिवक्ता आशीष शेलार, कुलपति डॉ. रवींद्र कुलकर्णी और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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