
कोलकाता, नगर संवाददाता: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में चल रही हिंसा को लेकर सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच तीखा टकराव देखने को मिला। टीएमसी ने प्रदर्शनकारियों पर राज्य में जनजीवन बाधित करने का आरोप लगाया और इसे बीजेपी के एजेंडे का हिस्सा बताया, वहीं विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर 2026 विधानसभा चुनाव कराने की मांग की।
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने सवाल उठाया कि वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन बंगाल में क्यों हो रहे हैं, दिल्ली में क्यों नहीं? उन्होंने आरोप लगाया कि इन प्रदर्शनों को राज्य को अस्थिर करने के लिए हाईजैक किया जा रहा है। घोष ने कहा, “बंगाल की सड़कों को क्यों जाम किया जा रहा है? रोजमर्रा की जिंदगी क्यों बाधित हो रही है? यह बीजेपी द्वारा रची गई साजिश है और आप इसके जाल में फंस रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया है कि वक्फ कानून में कोई भी जनविरोधी प्रावधान बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। घोष ने कहा, “टीएमसी ने संसद में, संसद के बाहर और सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून का विरोध किया है। आप सौ बार विरोध कीजिए, लेकिन हिंसा और आगजनी के साथ नहीं।”
घोष ने आरोप लगाया कि “विपक्षी राजनेताओं का एक धड़ा और बीएसएफ के कुछ लोग” बाहरी तत्वों को unrest भड़काने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “इस हिंसा से फायदा किसे हो रहा है? यह बीजेपी को बंगाल को टारगेट करने में मदद करता है। यह उनके हिंदू-मुस्लिम विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाता है।” tensions को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 16 अप्रैल को कोलकाता में समुदाय के बुजुर्गों से मुलाकात करेंगी।
वहीं बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने मुर्शिदाबाद की हिंसा को कानून-व्यवस्था की “पूरी तरह से विफलता” बताते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की। उन्होंने कहा, “पुलिस सत्ताधारी पार्टी की कैडर की तरह काम कर रही है। जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक में हैं, उन्हें वोट डालने से रोका जा रहा है।” बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने मालदा में एक कैंप का दौरा किया, जहां हिंसा से विस्थापित परिवार शरण लिए हुए हैं।